देश के हर राज्य में कृष्ण जन्माष्टमी मनाने का तरीका अलग,जानिये अपने प्रदेश का हाल

भगवान कृष्ण की जन्मस्थली और बचपन के घर मथुरा और वृन्दावन में धूमधाम से जन्माष्टमी मनाई जाती है. भक्त 'दही हांडी' कार्यक्रमों में शामिल होते हैं, जहां युवा पुरुष मक्खन या दही से भरे मिट्टी के बर्तन को तोड़ने के लिए मानव पिरामिड बनाते हैं

मथुरा और वृन्दावन

गुजरात में, जन्माष्टमी 'रास लीला' प्रदर्शन के साथ मनाई जाती है, जहां भगवान कृष्ण के जीवन के दृश्य, विशेष रूप से गोपियों (दूधियों) के साथ उनकी चंचल बातचीत को नृत्य और नाटक के माध्यम से दोहराया जाता है

गुजरात

'दही हांडी' परंपरा महाराष्ट्र में भी प्रचलित है, जहां 'गोविंदा' नामक समूह ऊंचाई लटकाई गई हांडी (बर्तन) को तोड़ने के लिए मानव पिरामिड बनाते हैं. मुंबई, विशेष रूप से दादर और लालबाग जैसे क्षेत्रों में दही हांडी के लिए फेमस हैं.

महाराष्ट्र

पश्चिम बंगाल में, जन्माष्टमी को 'जन्माष्टमी' और 'नंदा उत्सव' के रूप में मनाया जाता है. भक्त आधी रात तक उपवास करते हैं जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ, और फिर वे अपना उपवास तोड़ते हैं.

बंगाल

जन्माष्टमी को 'गोकुलाष्टमी' के रूप में मनाया जाता है. भक्त 'सीदाई' और 'मुरुक्कू' जैसी विभिन्न मिठाइयां तैयार करते हैं. और आटे से छोटे से भगवान के  पैरों के निशान बनाते हैं

तमिलनाडु और केरल

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