शिखिल ब्यौहार, भोपाल। दो फिल्म.. दो पार्टी और एमपी की सियासत में दो रंग.. दो पहलू .. दरअसल यहां बात कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की हो रही है। लोकसभा चुनाव 2024 में मोदी को रोकने कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का I.N.D.I.A. गठबंधन ‘हम साथ-साथ हैं’ फिल्म की तरह दिखाई देता है तो वहीं मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव महासंग्राम बल्कि यूं कहें कि केंद्र में सत्ता के सेमी फाइनल में दोनों ही पार्टी ‘हम आपके हैं कौन’.. अब ऐसे हालातों में मध्यप्रदेश की सियासत में केंद्र के समीकरणों का तड़का लगा हुआ है।
गौरतलब है कि एमपी में सभी 230 सीटों पर उम्मीदवार मैदान में उतारने की घोषणा कर चुकी आम आदमी पार्टी न सिर्फ बीजेपी बल्कि कांग्रेस पर भी हमलावर है। ‘आप’ और कांग्रेस की डबल पॉलिटिक्स पर बीजेपी का दावा है कि 2024 के इस समीकरण का पहला फायदा 2023 के चुनावों में बीजेपी को होने वाला है। कारण एमपी का वोटर कांग्रेस और AAP की खिचड़ी पॉलिटिक्स से कंफ्यूज है। कही दोस्ती तो कही धुर विरोधी..
बीजेपी का मामले पर कहना है कि कहीं की ईंट और कहीं का रोड़ा की कहावत पर कुनवा जोड़ा जा रहा है। आप की पहली सूची में रिजेक्टेड कैंडिडेट्स के नाम शामिल हैं। बीजेपी को केंद्र के साथ एमपी के विधानसभा चुनाव में गठबंधन से फर्क नहीं पड़ने वाला। बीजेपी अपने दम पर चुनाव लड़ती है और जीत भी हासिल करेगी।
उधर कांग्रेस ने कहा कि केंद्र और राज्य में चुनावी मुद्दे अलग-अलग होते हैं। इंडिया गठबंधन बेरोजगारी, महंगाई, संविधान और लोकतंत्र बचाने के लिए बना है। ‘आप’ हो या बीजेपी दोनों ही पार्टी को चुनावों में शह-मात देने का काम कांग्रेस करेगी।
वहीं AAP ने भी अपना दावा ठोका। साथ ही कहा कि पूरी ताकत से 230 विधानसभा सीटों पर पार्टी चुनाव लड़ेगी। एमपी में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दलों के खिलाफ आवाज बुलंद करेगी> राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों और सियासत से प्रदेश की जनता को फर्क नहीं पड़ने वाला। लिहाजा प्रदेश की जनता भी अब बदलाव के लिए तैयार है।
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