लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी दलों के बीच तैयारी चरम पर है. अगर I.N.D.I.A. की बात करें तो दिल्ली और पंजाब के बाद अब हरियाणा (Haryana) में भी टिकट बंटवारे को लेकर कांग्रेस की राह सहयोगी दलों से तालमेल को लेकर आसान नहीं है.

ऐसा इसलिए कि कांग्रेस की हरियाणा इकाई के अगुवा पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और राज्यसभा सांसद व उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा की तैयारी प्रदेश की सभी 10 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की है.

हरियाणा में इस माह के अंत तक टिकट बंटवारा और पेचीदा होने की संभावना है. 25 सितंबर को देश के पूर्व पीएम चौधरी देवी लाल की जयंती है. इस बात के कयाय लगाए जा रहे हैं कि 36 बिरादरी को साथ लेकर चलने वाले देवीलाल की पार्टी इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) उनकी 110वीं जयंती के मौके पर I.N.D.I.A. में शामिल होने की घोषणा कर सकती है.

ऐसा होता है तो I.N.D.I.A. में हरियाणा के 10 सीटों के बंटवारे पर घमासान मच सकता है. प्रदेश कांग्रेस प्रमुख धरा सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने के लिए तैयारी में जुटी है. राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन के दबाव में अगर सहयोगी दलों के साथ लड़ने के लिए प्रदेश इकाई को समझौता करना भी पड़ा तो कांग्रेस सोनीपत, रोहतक, भिवानी- महेंद्रगढ़, गुरुग्राम, अंबाला पांच सीटों पर किसी से समझौता नहीं करने को तैयार नहीं होगी. कैथल सीट से ​साल 2019 में गांधी परिवार के करीबी नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला चुनाव लड़े थे. कांग्रेस इस सीट को भी छोड़ना पसंद नहीं करेगी. वैसे भी कांग्रेस की स्थिति हरियाणा में इस बार पहले से बेहतर है. ऐसे में कांग्रेस का अपने सहयोगी दलों की पसंद की लोकसभा सीटों को छोड़ने की संभावना न के बराबर है.

हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा विधानसभा चुनाव को लेकर बार-बार कह रहे हैं कि कांग्रेस को किसी भी दल के साथ गठबंधन की जरूरत नहीं है. लोकसभा चुनाव 2019 में सोनीपत से भूपेंद्र सिंह हुड्डा लड़ चुके हैं. उनके बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा रोहतक, पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा अंबाला, किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी महेंद्रगढ़-भिवानी और कैप्टन अजय यादव गुरुग्राम से चुनाव लड़ चुके हैं. ये लोग अपनी-अपनी सीट किसी भी सूरत में छोड़ने के लिए तैयार नहीं होंगी. खास बात यह है कि ये भी लोग हरियाणा के प्रमुख सियासी परिवारों से भी ताल्लुक रखते हैं.