डॉ. वैभव बेमेतरिहा
रायपुर. छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव-2023 को लेकर सत्ताधारी दल कांग्रेस में टिकट को लेकर कई नए प्रयोगों की चर्चा है. और शायद यही वजह है कि कांग्रेस की पहली सूची आने में अभी देर है. पूर्व में कांग्रेस नेताओं की ओर आए बयानों के मुताबिक तो पहली लिस्ट सितंबर पहले सप्ताह में आ जानी चाहिए थी, लेकिन वरिष्ठ नेताओं में सहमति और असहमति के बीच पेंच ऐसा फंसा है कि पहले सप्ताह नहीं अब सितंबर अंतिम सप्ताह तक प्रत्याशियों की सूची आने की खबर है.
वैसे इन सबके बीच अब खबर ये है कि कांग्रेस ने टिकट वितरण को लेकर फार्मूला पूरी तरह से तैयार कर लिया है. 2790 आवेदनों की छंटनी कई स्तरों पर की जा चुकी है. 90 सीटों पर करीब 200 नामों का पैनल शार्ट लिस्ट किया चुका है. मंत्रियों की सीट को लेकर प्रदेश चुनाव समिति के सदस्यों और स्क्रीनिंग कमेटी के बीच सहमति बन चुकी है.
मंत्री रविन्द्र चौबे ने पत्रकारों से चर्चा में कहा है कि 90 में से 40 सीटों पर नए चेहरे उतारे जाएंगे. उन्होंने यह भी कहा कि इनमें 19 वो सीटें शामिल जहाँ कांग्रेस हारी और 21 वो सीट जहाँ कांग्रेस के मौजूदा विधायक हैं.
मंत्री चौबे छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए बनाए गए संचार समिति के अध्यक्ष हैं, साथ ही राज्य सरकार के प्रवक्ता भी हैं. इस दृष्टि से मंत्री चौबे के बयान के अपने मायने साफ है और यह एक तरह से डेंजर जोन वाले विधायकों को संकेत भी है कि उन्हें पार्टी दोबारा मौका नहीं देने जा रही है.
कांग्रेस में डेंजर जोन में ज्यादातर पहली बार चुनाव जीतकर आने वाले नेता शामिल हैं. इनमें वो नेता भी शामिल हैं, जिन्होंने 2018 के चुनाव में लहर के बीच भारी मतों से जीत हासिल की और भाजपा के बड़े नेताओं को हराने में सफल रहे. बावजूद इसके 2023 के चुनाव में कांग्रेस के इन्हीं विधायकों के लिए खतरे की घंटी बज चुकी है.
दरअसल सरकारी और निजी एजेंसियों के माध्यम से कई सर्वे सभी 90 सीटों पर कराए गए हैं. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में भी निजी तौर पर सर्वे करवाए हैं. इसके साथ ही बूथ स्तर लेकर प्रदेश स्तर पर सभी सीटों पर कांग्रेस की मौजूदा स्थिति और विधायकों को लेकर पार्टी के ही कार्यकर्ताओं और नेताओं से फीडबैक भी लिया गया है. खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भेंट-मुलाकात कार्यक्रम के जरिए विधायकों की स्थिति का आंकलन किया है. वहीं वर्तमान में सभी 90 सीटों पर जारी संकल्प शिविरों के माध्यम से भी जमीनी सच्चाई को वरिष्ठ नेता भांपने का काम कर रहे हैं.
इस तरह अलग-अलग रिपोर्ट्स और फीडबैक के आधार पर कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी के दो सदस्य नीटा डिसूजा और हनुमंतैया ने सभी 90 सीटों को लेकर एक विस्तारित और सामूहिक रिपोर्ट तैयार की है. स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष माकन बीते दिनों इसी रिपोर्ट के आधार पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक कर लौट गए है.
दूसरी ओर कांग्रेस कार्यालय राजीव भवन से लेकर मुख्यमंत्री निवास में आयोजित बैठकों के साथ दिल्ली में वरिष्ठ नेताओं के बीच हुई चर्चा के बाद कांग्रेस 2023 विधानसभा चुनाव में किस तरह से कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है. शायद यही वजह है कि पार्टी बड़ी संख्या में मौजूदा विधायकों को दोबारा मौका नहीं देना चाहती और नए चेहरों पर भरोसा जता रही है.
नए चहेरों को लेकर कांग्रेस अगर मैदान में उतरी तो वो सीटें कौन-कौन सी यह भी जान लीजिए, जहाँ के विधायक डेंजर जोन में हैं.
भिलाई नगर- मौजूदा विधायक देवेन्द्र यादव
अहिवारा- मौजूदा विदायक गुरु रुद्र कुमार
नवागढ़- मौजूदा विधायक गुरुदयाल बंजारे
पंडरिया- मौजूदा विधायक ममता चंद्राकर
गुंडरदेही- मौजूदा विधायक कुँवर सिंह निषाद
बालोद- मौजूदा विधायक संगीता सिन्हा
कांकेर- मौजूदा विधायक शिशुपाल शोरी
अंतागढ़- मौजूदा विधायक अनूप नाग
नारायणपुर- मौजूदा चंदन कश्यप
चित्रकोट- मौजूदा विधायक राजमन बेंजाम
खल्लारी- मौजूदा विधायक द्वारिकाधीश यादव
महासमुंद – मौजूदा विधायक विनोद सेवनलाल चंद्राकर
सराईपाली- मौजूदा किस्मत लाल नंद
रायगढ़ – मौजूदा विधायक प्रकाश नायक
बिलाईगढ़- मौजूदा विधायक चंद्रदेव राय
कसडोल- मौजूदा विधायक शकुंतला साहू
तखतपुर- मौजूदा विधायक रश्मि सिंह
डोंगरगढ़- मौजूदा विधायक भुवनेश्वर बघेल
मोहला-मानपुर- मौजूदा विधायक इंद्रशाह मंडावी
खुज्जी – मौजूदा विधायक छन्नी साहू
बैंकुठपुर- मौजूदा विधायक अंबिका सिंहदेव
मनेन्द्रगढ़- मौजूदा विधायक डॉ. विनय जयसवाल
कुनकुरी- मौजूदा विधायक यूडी मिंज
जशपुर- मौजूदा विधायक विनय भगत
इसके साथ ही 19 वो सीटें जहाँ पर कांग्रेस 2018 में हारी थी.
वैशाली नगर, राजनांदगांव, कोटा, मुंगेली, लोरमी, बिल्हा, बेलतरा, मस्तुरी, पामगढ़, जैजैपुर, अकलतरा, जांजगीर, रामपुर, भाटापारा, बलौदाबाजार, रायपुर दक्षिण, कुरुद, धमतरी, बिंद्रानवागढ़
कहा जा रहा है कि इन सीटों पर इस बार कांग्रेस नए चेहरों को मौका देगी. मतलब उन चहेरों को दोबारा मौका पार्टी नहीं देगी, जो 2018 में चुनाव हार गए थे.
वैसे कांग्रेस में चुनावों में टिकट वितरण का जो इतिहास रहा है उसमें कुछ भी स्पष्ट तौर पर नहीं कहा जा सकता है. कांग्रेस में मौजूदा का विधायकों टिकट काटना आसान नहीं रहा है, ऐेसे में पहली सूची किस फार्मूले के साथ आ रही है इसका इंतजार सभी को है.
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