डॉ. वैभव बेमेतरिहा, रायपुर. छत्तीसगढ़ में वैसे तो मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच है, लेकिन आम आदमी पार्टी ने भी इस बार अपनी पूरी ताकत विधानसभा चुनाव के लिए लगा दी है. हालांकि प्रदेश में आप का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है. बीते लोकसभा और विधानसभा चुनाव में आप की उपस्थिति महज एक फीसदी ही रही है. बावजूद इसके आप छत्तीसगढ़ में तीसरी बड़ी ताकत बनना चाहती है. न सिर्फ तीसरी बड़ी ताकत बल्कि मुकाबला को त्रिकोणीय संघर्ष में बदलकर किंगमेकर भी. ये और बात है कि बसपा जैसी बड़ी पार्टी भी अब तक किसी चुनाव में किंगमेकर नहीं बन पाई और न ही स्व. अजीत जोगी अपनी पार्टी जेसीसीजे को ऐसी स्थिति में ला पाने में कामयाब हो पाए थे.
खैर इस रिपोर्ट में विश्लेषण आम आदमी पार्टी की समूचे छत्तीसगढ़ में मौजूदा स्थिति पर नहीं, बल्कि उन 10 सीटों पर उपस्थिति की अभी करेंगे, जहाँ पार्टी ने अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया है.
भाजपा और बसपा के बाद आप तीसरी पार्टी है जिसने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी की है. जबकि सत्ताधारी दल कांग्रेस में अभी पहली सूची पर मंथन ही जारी है. आप ने जिन 10 सीटों के लिए सूची जारी की है, उनमें 9 में कांग्रेस, जबकि 1 में भाजपा काबिज है.
2018 विधानसभा चुनाव पर अगर नजर डाले तो आम आदमी पार्टी की उपस्थिति किसी भी सीट पर ऐसी नहीं रही कि वे भाजपा और कांग्रेस के समीकरण को बिगाड़ सके. यहाँ तक आप के प्रदेश अध्यक्ष कोमल हुपेंडी जिस सीट (भानुप्रतापपुर) से लड़े थे वहाँ भी. अभी 2023 के चुनाव के लिए जिन 10 सीटों पर पार्टी ने प्रत्याशियों की घोषणा की वहाँ बीते चुनाव में कई सीटों पर नोटा को आप से कहीं ज्यादा मत मिले थे. वहीं आप ने 10 सीटों की पहली सूची में 7 में नए चेहरे को मौका दिया, जबकि 3 दंतेवाड़ा, भानुप्रतापुर और नारायणपुर में 2018 में चुनाव लड़ने वालों पर फिर भरोसा जताया है.
एक नजर आप के 10 प्रत्याशियों पर –
सीट- भानुप्रतापपुर
प्रत्याशी, कोमल हुपेंडी :- पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं. उच्च शिक्षित हैं. सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रहते हैं. सरकारी नौकरी से इस्तीफा देकर 2016 में आप में शामिल हुए थे. पार्टी ने 2018 के चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया. अपने गृह नगर भानुप्रतापपुर से 2018 में चुनाव लड़े थे, लेकिन तीसरे नंबर पर रहे थे. एक बार फिर पार्टी ने उन्हें भानुुप्रतापपुर से ही प्रत्याशी बनाया है. स्थानीय जानकारों के मुताबिक इस बार पहले कहीं ज्यादा मजबूत स्थिति में हैं. आप की यहां मजबूती से कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो सकता है.
2018 का चुनाव :- कांग्रेस के मनोज मंडावी विजयी हुए थे. उन्हें 72520 मत मिले थे, जबकि भाजपा के देवलाल दुग्गा को 45827 वोट मिले थे. आप के कोमल हुपेंडी तीसरे नंबर थे, उन्हें 9634 मत प्राप्त हुआ था, जबकि नोटा के खाते में 4235 वोट गया था. छत्तीसगढ़ बनने के बाद हुए चार चुनाव और एक उपचुनाव में इस सीट पर 2003 और 08 में भाजपा, जबकि 2013 और 18 और 22(उपचुनाव) में कांग्रेस जीती है.
.सीट- दंतेवाड़ा
प्रत्याशी- बल्लूराम भवानी :- दूसरी बार दंतेवाड़ा से आप की टिकट पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं. पार्टी ने दोबारा भरोसा जताया है. शिक्षक रहे और सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहते हैं. स्व. महेन्द्र कर्मा के नजदीकी रहे हैं. स्थानीय जानकारों का कहना है कि बीते चुनाव के बाद से आप की सक्रियता यहां बढ़ी है. बल्लूराम की स्थिति मजबूत हुई है. हालांकि चुनाव जीतने की स्थिति में नही हैं. लेकिन इस बार 10 हजार तक वोट प्राप्त कर सकते हैं. ऐसा हुआ तो फिर कांग्रेस को बड़ा नुकसान होगा.
2018 का चुनाव : – भाजपा के भीमा मंडावी जीते थे. उन्हें 37990 मत प्राप्त हुआ था, जबकि कांग्रेस की देवती कर्मा 35818 वोट प्राप्त कर पाई थीं. तीसरे नंबर पर सीपीआई के नंदाराम सोड़ी रहे, उन्हें 12915 मत और चौथे नंबर बसपा के केशव नेताम रहे, जिन्हें 6119 मत मिले थे. आम आदमी पार्टी यहाँ पांचवें नंबर पर रही. आप के बल्लूराम को 4903 मत प्राप्त हुआ था.
सीट – नारायणपुर
प्रत्याशी- नरेन्द्र कुमार नाग :– दूसरी बार नारायणपुर से प्रत्याशी बनाए गए हैं. किसान परिवार से हैं. पत्नी अंतागढ़ विधानसभा के कलगांव में सरपंच हैं. बीते चुनाव में कुछ खास नहीं कर पाए थे. ढाई हजार तक वोट जुटाने में सफल रहे थे. स्थानीय जानकारों के मुताबिक इस बार भी स्थिति अच्छी नहीं है. वोटों की संख्या 5 हजार तक पहुँच सकती है.
2018 का चुनाव : कांग्रेस के चंदन कश्यप ढाई हजार से अधिक मतों से विजयी हुए थे. उन्हें 58652 मत प्राप्त हुआ था. भाजपा के केदार कश्यप को 56005, निर्दलीय निलांबर बघेल को 2696 मत मिले थे. वहीं आप प्रत्याशी नरेन्द्र नाग 2576 वोट लेकर चौथे पायदान पर रहे थे. यहां नोटा में 6858 वोट गया था, यह गौर करने वाला है. छत्तीसगढ़ राज बनने के बाद हुए चार चुनावों में तीन बार भाजपा और एक बार कांग्रेस जीती है. 2003 में भाजपा से विक्रम उसेंडी, 2008 और 13 में भाजपा से केदार कश्यप जीते, जबकि 2018 में कांग्रेस से चंदन कश्यप.
सीट- राजिम
प्रत्याशी- तेजराम विद्रोही :– तेजराम की पहचान छत्तीसगढ़ में एक आंदोलनकारी किसान नेता की है. तेजराम संयुक्त किसान महासभा के राष्ट्रीय नेता. देशभर में होने वाले किसान आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका तेजराम की रहती है. छत्तीसगढ़ में राकेश टिकैत की मौजूदगी में आयोजित किसान महापंचायत के संयोजक रहे. अन्य पिछड़ा वर्ग समाज से आते हैं. राजिम में सामाजिक गतिविधियों में भी सक्रिय रहते हैं. पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ने जा रहे हैं, राजनीतिक अनुभव कम है. स्थानीय जानकारों के मुताबिक कांग्रेस पार्टी को बड़ा नुकसान पहुँचा सकते हैं. अगर किसानों का वोट ले पाने में सफल रहे तो.
2018 का चुनाव : कांग्रेस के अमितेष शुक्ल करीब 60 हजार के रिकॉर्ड मतों से चुनाव जीते थे. उन्हें 99041 मत प्राप्त हुआ था, जबकि भाजपा के संतोष उपाध्याय को 40909 मत ही मिले थे. तीसरे नंबर पर जोगी कांग्रेस के रोहित साहू रहे, जिन्हें 23776 और चौथे नंबर पर आप के राजा ठाकुर रहे, जिन्हें सिर्फ 610 मत मिले थे. वहीं नोटा के खाते में 4844 वोट गया था. यहाँ गौर करने वाली बात ये है कि भाजपा ने इस बार इस सीट से जोगी कांग्रेस के प्रत्याशी रहे रोहित साहू को प्रत्याशी बनाया है. छत्तीसगढ़ राज बनने के बाद हुए चार चुनावों की बात करे तो दो बार भाजपा और दो बार कांग्रेस जीती है. 2003 में भाजपा से चंदूलाल साहू, 2008 में कांग्रेस से अमितेष शुक्ल, 2013 में भाजपा से संतोष उपाध्याय और 2018 में कांग्रेस अमितेष शुक्ल.
सीट- कवर्धा
प्रत्याशी- खड़्गराज सिंह :- खड़्गराज सिंह कवर्धा जिले के सहसपुर-लोहारा राजपरिवार से आते हैं. विशेषकर आदिवासियों के बीच राजा के तौर पर लोकप्रिय हैं. पहले भाजपा में रह चुके हैं. सहसपुर-लोहारा के नगर पंचायत अध्यक्ष भी रहे हैं. आम आदमी पार्टी में अभी-अभी आए हैं. स्थानीय जानकारों के मुताबिक उनका प्रभाव लोहारा तक ही है. क्षेत्र की जनता के बीच भी पूरी तरह सर्वमान्य नहीं हैं. लेकिन लोहारा कांग्रेस का गढ़ है, ऐसे में कांग्रेस का बड़ा नुकसान उनके खड़े होने से होगा. खासकर आदिवासी वोट बैंक में.
2018 का चुनाव : कांग्रेस के मो. अकबर लगभग 60 हजार के रिकॉर्ड मतों से जीते थे. उन्हें 136320 मत प्राप्त हुए थे. भाजपा के अशोक साहू 77036, निर्दलीय 6604 और जोगी कांग्रेस के अगमदास महंत 6250 वोट मिले थे. आम आदमी पार्टी चुनाव नहीं लड़ी थी. छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद हुए चार चुनावों की बात करे तो दो बार भाजपा और दो बार कांग्रेस जीती है. 2003 में कांग्रेस से योगेश्वर राज सिंह, 2008 में भाजपा से डॉ. सियाराम साहू, 2013 में भाजपा से अशोक साहू और 2018 में कांग्रेस से मो. अकबर.
सीट- अकलतरा
प्रत्याशी- आनंद प्रकाश मिरी :- इंजीनियर और कारोबारी हैं. कुछ समय तक मुंबई और दिल्ली में रहे हैं. दिल्ली में रहने के दौरान आम आदमी पार्टी के संपर्क में आए. मूल रूप से कोटमीसोनार गांव के रहने वाले हैं. अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं. अकलतरा सामान्य सीट हैं, लेकिन पार्टी ने एससी वर्ग के उम्मीदवार को मौका दिया है. स्थानीय जानकारों के मुताबिक पैसे से मजबूत हैं. एससी वर्ग के लोगों के बीच प्रभाव है. सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रहते हैं. एससी वर्ग के वोट में अगर सेंधमारी कर पाए तो कांग्रेस को बड़ा नुकसान पहुँचा सकते हैं. बीते चुनाव के मुकाबले आप यहां मजबूत हुई है.
2018 का चुनाव : भाजपा के सौरभ सिंह दूसरी बार जीतकर विधायक बने. उन्हें 60502 वोट मिले थे. वहीं कांग्रेस यहां तीसरे नंबर पर रही थी. कांग्रेस के चुन्नीलाल साहू को 27667 वोट मिल थे. दूसरे नंबर पर यहां बसपा रही. बसपा से जोगी परिवार की बहू ऋचा जोगी चुनाव लड़ी थीं. उन्हें 58698 वोट प्राप्त हुआ था. आम आदमी पार्टी यहां पांचवें नंबर पर रही थी. आप के चंद्रहास सिर्फ 958 वोट पा सके थे. नोटा के खाते में 2242 वोट गया था. छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद यहां चार चुनाव और एक उपचुनाव हुए हैं. 2003 में कांग्रेस के रामाधार जीते थे. लेकिन 2004 में उपचुनाव हुआ तो भाजपा के चैतराम देवांगन जीतने में सफल रहे थे. 2008 में बसपा से सौरभ सिंह जीते, 2013 में कांग्रेस से चुन्नीलाल साहू जीते थे. वहीं 2018 में भाजपा से लड़ते हुए सौरभ सिंह दूसरी बार चुनाव जीतने में कामयाब रहे.
सीट- कोरबा
प्रत्याशी- विशाल केलकर :- इंजीनियर हैं. ठेकेदारी करते हैं. दर्री के रहने वाले हैं. पैसे से मजबूत हैं. कुछ वर्षों से आम आदमी पार्टी से जुड़े हैं. युवाओं की टीम बनाकर कोरबा में सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों पर सक्रिय हैं. अनूठे प्रदर्शनों से अपनी पहचान बनाई है. स्थानीय जानकारों के मुताबिक आप की स्थिति इलाके में मजबूत नहीं है. कांग्रेस-भाजपा को नुकसान पहुँचा पाने की स्थिति में नहीं.
2018 का चुनाव : जय सिंह अग्रवाल लगातार तीसरी बार चुनाव जीते. उन्हें 70119 मत प्राप्त हुआ था. भाजपा के विकास महतो 58313 मत प्राप्त कर पाए थे. जोगी कांग्रेस के राम सिंह तीसरे नंबर पर रहे. उन्हें 20938 वोट प्राप्त हुआ था. आम आदमी पार्टी यहां चौथे नंबर पर रही. आप के अनूप अग्रवाल सिर्फ 632 वोट ही हासिल कर पाए थे. छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद हुए चार चुनावों में एक बार भाजपा और तीन बार कांग्रेस जीती है. 2003 में भाजपा से बनवारी लाल अग्रवाल, जबकि 2008, 13 और 18 में लगातार तीन बार कांग्रेस से जय सिंह अग्रवाल जीते.
सीट- पत्थलगांव
प्रत्याशी- राजाराम लकड़ा :- इंजीनियर हैं. जुनवानी पंचायत के रहने वाले हैं. इलाके में सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय हैं. पहली बार चुनाव लड़ेंगे. ईसाई समुदाय से आते हैं. स्थानीय जानकारों के मुताबकि आप की उपस्थिति क्षेत्र में मजबूत नहीं है. लेकिन राजाराम की पकड़ अपने समाज के लोगों के बीच ठीक-ठाक है. ईसाई समुदाय के वोट में सेंधमारी से जाहिर है कांग्रेस को नुकसान होगा.
2018 का चुनाव :- रामपुकार सिंह करीब 37 हजार के भारी अंतर से चुनाव जीते थे. उन्होने 96599 वोट हासिल किया था. भाजपा के शिवशंकर पैकरा को 59913 मत प्राप्त हुए थे. जोगी कांग्रेस के एमएस पैकरा 3915 मत प्राप्त कर तीसरे नंबर पर रहे थे. वहीं आम आदमी पार्टी यहां चौथे नंबर पर रही थी. आप की मीरा तिर्की सिर्फ 854 वोट हासिल कर पाई थीं. नोटा को यहां 5159 वोट गया था. राज्य बनने के बाद हुए चार चुनावों में तीन बार कांग्रेस और एक बार भाजपा जीती है. 2003 और 08 में कांग्रेस से रामपुकार सिंह, 2013 में भाजपा से शिवशंकर पैकरा और 2018 में वापस रामपुकार सिंह जीते.
सीट- कुनकुरी
प्रत्याशी- लिओस मिंज – सामान्य किसान परिवार से हैं. एलआईसी में विकास अधिकारी हैं. पार्टी के जिलाध्यक्ष हैं. जोकहला गांव के रहने वाले हैं. ईसाई समुदाय से आते हैं. स्थानीय जानकारों के मुताबिक आप की उपस्थिति इलाके में अच्छी नहीं है. पार्टी कहीं कोई सक्रियता नहीं है. लिओस मिंज की मौजूदगी उनके समुदाय तक ही सीमित है. कांग्रेस और भाजपा दोनों को ही नुकसान पहुँचा सकते हैं.
2018 का चुनाव : कांग्रेस के यूडी मिंज चुनाव जीते थे. उन्हें 69896 वोट मिले थे. भाजपा के भरत साय 65603 वोट प्राप्त कर सके थे. बसपा के बेंजामिन मिंज 7970 वोट हासिल कर तीसरे नंबर पर रहे थे. वहीं आप के अंशुदेव साय 1842 वोट प्राप्त कर चौथे नंबर पर रहे थे. नोटा को 2129 लोग ने वोट किए थे. राज्य बनने के बाद हुए तीन चुनावों में दो बार भाजपा और एक बार कांग्रेस जीती है. 2008 में भरत साय, 2013 में रोहित साय और 2018 में यूडी मिंज.
सीट- भटगांव
प्रत्याशी – सुरेन्द्र गुप्ता :- होटल व्यवसायी हैं. मानव अधिकार कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय हैं. विश्रामपुर के रहने वाले हैं. कुछ महीने पहले आम आदमी पार्टी में आए हैं. स्थानीय जानकारों के मुताबिक इलाके में प्रभावी नहीं है. आम आदमी पार्टी की स्थिति में क्षेत्र में मजबूत नहीं है. कांग्रेस और भाजपा को नुकसान पहुंचा पाने की स्थिति में नहीं हैं.
2018 का चुनाव : कांग्रेस के पारसनाथ राजवाड़े दूसरी बार विधायक चुनकर आए. उन्होने 74623 वोट हासिल किया था. भाजपा की रजनी रविशंकर त्रिपाठी को 58889 वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी के रामाधीन पोया थे, जिन्हें 10050 प्राप्त हुए थे. वहीं चौथे नंबर पर जोगी कांग्रेस के सुरेन्द्र चौधरी को 9067, जबकि पांचवें नंबर पर रहे आप के डी.के सोनी को सिर्फ 877 मत प्राप्त हुए थे. नोटा के हिस्से 981 वोट गया था. राज्य बनने के बाद एक उपचुनाव मिलाकर चार चुनाव हुए हैं. दो बार भाजपा और दो बार कांग्रेस जीती है. 2008 में भाजपा से रविशंकर त्रिपाठी, 2010 के उपचुनाव में भाजपा से स्व, रविशंकर की पत्नी रजनी त्रिपाठी और 2013 और 18 में कांग्रेस से पारसनाथ राजवाड़े जीत हैं.
अच्छे प्रत्याशियों की कमी दिख रही है- उचित शर्मा
छत्तीसगढ़ में आम आदमी पार्टी के पहले राज्य संयोजक रहे और अब वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा आम आदमी पार्टी की पृष्ठभूमि को बहुत गहराई से समझते हैं. उनका कहना है कि करीब 10 साल बाद भी छत्तीसगढ़ में आम आदमी पार्टी की उपस्थिति वैसी नहीं हो पाई है, जैसी दिल्ली, पंजाब, हरियाणा या गुजरात में है. इसके पीछे कारण आदमी पार्टी को एक दशक तक सिर्फ छत्तीसगढ़ के नेताओं और कार्यकर्ताओं के भरोसे छोड़ देना रहा है. 2023 के चुनाव में जरूर दिल्ली के नेताओं की सक्रियता दिख रही है. अरविंद केजरीवाल, भगवत मान और संदीप पाठक की रैलियों का प्रभाव दिखने लगा है.
प्रदेश में आप का कैडर गांव स्तर पर तैयार हो चुका है. इस बार यहां चुनाव दिल्ली के नेता लड़ रहे हैं ऐसा खुलकर दिख रहा है. स्वभाविक है कि इसका असर भी चुनाव में दिखेगा. लेकिन मैं यह भी स्पष्ट तौर पर देख पा रहा हूं कि आप के पास अच्छे प्रत्याशियों की कमी दिख रही है. पहली सूची में अगर एक-दो नाम को छोड़ दे तो, बाकी चेहरों की अपनी कहीं कोई मौजूदगी मतदताओं के बीच नहीं है. वहीं यह कहना भी कतई गलत नहीं होगा कि आप के नेता बीते एक दशक में न अच्छे और नामचीन लोगों को, अधिकारियों को अपनी पार्टी में ला पाए और न किसी चर्चित नेता को. बल्कि बीते कुछ सालों में अच्छे लोग पार्टी छोड़कर चले गए. पता नहीं आगे आने वाली सूचियों में किस तरह के प्रत्याशी आएंगे ?
पहली सूची के 10 में सिर्फ 1 मुकाबले की स्थिति में- समरेन्द्र शर्मा
छत्तीसगढ़ में बीते दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय वरिष्ठ पत्रकार समरेन्द्र शर्मा का कहना है कि आम आदमी पार्टी की छत्तीसगढ़ में उपस्थिति एक वोट कटुवा पार्टी के तौर पर रही है. 10 प्रत्याशियों की पहली सूची में शामिल नाम को देखकर लग रहा है कि आप कहीं भी मुकाबले में नहीं है. भानुप्रतापपुर ही एक मात्र सीट ऐसी है जहां त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति नजर आ रही है. अन्य 9 सीटों पर आप असरकारी साबित नहीं होगी. हालांकि आने वाले महीनों में व्यापक चुनाव प्रचार के बाद कुछ परिस्थितियां बदल जाए तो अलग बात है, लेकिन मौजूदा समय पर तो यह बिल्कुल नहीं लग रहा है कि आप के प्रत्याशी कहीं भी भाजपा और कांग्रेस को व्यापक नुकसान पहुंचा पाने की स्थिति में दिख रहे हैं. आप को अभी रणनीतिक तौर और मेहनत करने की जरूरत है.
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