अजयारविंद नामदेव, शहडोल। इरादे नेक और हौसले बुलंद हो तो सफलता जरूर कदम चूमती है। हिम्मत से आगे बढ़े तो सफलता की राह में कोई भी अड़चनें नहीं आती, इसे शहडोल के ब्यौहारी के एक छोटे से गांव कल्लेह के रहने वाले कुलदीप ने साबित कर दिखाया है। कुलदीप ने नशा के खिलाफ अभियान चलाकर लोगों को जागरूक करने के लिए साइकिल से भारत के दो गलियारे उत्तर से दक्षिण और पश्चिम से पूर्व की 7300 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर समाज के लिए संदेश दिया है।

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शहडोल जिले के ब्यौहारी के एक छोटे से गांव कल्लेह के रहने वाले कुलदीप ने आज की युवा पीढ़ी के आत्महत्या करने और नशा के खिलाफ अभियान छेड़ कर साइकलिंग के माध्यम से देश मे लोगो को जागरूक कर संदेश दिया है। कुलदीप का साइकल एक्सपेडिशन भारत के दो सबसे बड़े राष्ट्रीय राजमार्ग में था जो की उत्तर दक्षिण और पूर्व पश्चिम गलियारा कहलाता है। इसकी कुल लंबाई है 7 हजार 300, उत्तर दक्षिण गलियारा NH-44 जिसकी कुल लंबाई 4 हजार किलोमीटर है। वहीं पूर्व पश्चिम गलियारा NH-27 जिसकी कुल लंबाई 3 हजार 300 किलोमीटर है। दोनों राष्ट्रीय राजमार्ग 17 राज्यों से होकर गुजरते हैं।

बता दें कि उत्तरप्रदेश का झांसी दोनों राष्ट्रीय राजमार्ग का जंक्शन है। कुलदीप ने 23 जुलाई को नॉर्थ साउथ कॉरिडोर के लिए जम्मू कश्मीर के श्रीनगर से अपनी साइकल यात्रा की शुरुआत की और 15 अगस्त तक 3 हजार 712 किलोमिटर की यात्रा पूर्ण कर कन्याकुमारी तमिलनाडु पहुंचे। फिर नॉर्थ साउथ कॉरिडोर का ब्रांच रोड जिसकी कुल लंबाई 365 किलोमीटर, जो केरल के कोच्चि से तमिलनाडु के सेलम तक है, उसे 2 दिन में पूरा किया।

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इसके बाद वेस्ट ईस्ट कॉरिडोर कि सायकल यात्रा के लिए ट्रेन से पोरबंदर गुजरात पहुचा और 20 अगस्त से साइकल यात्रा शुरू किया और 7 सितंबर को ये यात्रा पूरी हुई। यात्रा पूरी कर कुलदीप आज 10 सितंबर को अपने गृह ग्राम कल्लेह पहुंचे जहां उनका जोरदार स्वागत किया गया। कुलदीप की इस यात्रा में कई रोचक किस्से रहे। दक्षिण भारत के लोगों ने हर पड़ाव पर स्वयं से आगे आकर कुलदीप की हर तरह से मदद की है।

कुलदीप के साइकल एक्सपेडिशन का उद्देश्य नशा के खिलाफ लोगों को जागरूक करना व भारत के लिए एक रिकार्ड बनाना था। इसके साथ ही कुलदीप का कहना हैं कि एडवेंचर और स्पोर्ट को लोग अपनी जिंदगी का अहम हिस्सा बनाए और मानसिक और शारीरिक रूप से खुद को मजबूत रखें। नशे से दूर रहकर आत्महत्या जैसा कदम न उठाए, प्रकृति से खुद को जोड़कर रखें। उन्होंने कहा प्रकृति से हमे सकारात्मक बने रहने की प्रेरणा मिलती है।

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