लखनऊ. नए संसद भवन में लोकसभा की कार्यवाही में सरकार ने पहला बिल पेश किया. पहला ही बिल महिला आरक्षण से जुड़ा है. इसे ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ नाम दिया गया है. इसी बीच इस बिल पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि लैंगिक और सामाजिक न्याय का संतुलन होना चाहिए. पिछड़े, दलित महिलाओं का आरक्षण प्रतिशत स्पष्ट होना चाहिए.

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सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट करते हुए कहा, ”महिला आरक्षण लैंगिक न्याय और सामाजिक न्याय का संतुलन होना चाहिए. इसमें पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक, आदिवासी (PDA) की महिलाओं का आरक्षण निश्चित प्रतिशत रूप में स्पष्ट होना चाहिए.” वहीं अखिलेश यादव की पत्नी और मैनपुरी से सपा की सांसद डिंपल यादव ने कहा है, “मैं महिला हूं और इस बिल का समर्थन करती हूं. लेकिन, मैं चाहती हूं कि अंतिम पंक्ति में जो खड़ी महिला है, उसको भी उसका हक मिलना चाहिए. हम चाहते हैं कि ओबीसी महिलाओं को भी आरक्षण मिले.”

https://x.com/yadavakhilesh/status/1704071155005661313?s=20

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गौरतलब है कि आज नए सदन में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने महिला आरक्षण बिल पेश किया. इस बिल में लोकसभा और विधानसभा में 33% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करने का प्रावधान है. इसका मतलब ये हुआ कि अब लोकसभा और विधानसभा में हर तीसरी सदस्य महिला होगी. इस बिल के कानून बनने के बाद लोकसभा में महिला सदस्यों के लिए 181 सीटें महिलाएं के लिए रिजर्व हो जाएंगी.

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