नई दिल्ली. दिल्ली हाईकोर्ट ने सशस्त्रत्त् बलों में लैंगिक समानता के लिए वकालत की है. मंगलवार को कोर्ट ने कहा कि जब एक महिला अधिकारी को सियाचिन में सीमा पर तैनात किया जा सकता है तो पुरुष को सेना में नर्स भी नियुक्त किया जा सकता है.
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा एवं न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ सैन्य प्रतिष्ठानों में केवल महिला नर्सों को रखने की कथित असंवैधानिक प्रथा के बारे में एक याचिका पर सुनवाई कर रही है. केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रही अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि सेना में प्रथाएं लंबे समय से चली आ रही परंपराओं पर आधारित हैं. हालांकि, पीठ ने कहा कि सरकार अभी लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए एक कानून लेकर आई है. पीठ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने बार-बार माना है कि कोई लैंगिक पूर्वाग्रह नहीं होना चाहिए. कोर्ट ने याचिका को नवंबर में आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है.