कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट का मामला सामने आया था। स्कूलों में फर्जी सर्टिफिकेट से शिक्षक बनने का खुलासा हुआ था। इस मामले में कालेजों में दिव्यांग कोटे से हुई असिस्टेंट प्रोफेसरों की जांच होगी। प्रोफेसर बने 150 लोगों के सर्टिफिकेट की भी जांच होगी।

दरअसल, दिव्यांगता को लेकर मिली शिकायतों के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने जांच के आदेश दिए हैं। इससे पहले भी स्कूलों के फर्जी सर्टिफिकेट से शिक्षक बनने का खुलासा हुआ था। जिसमें ग्वालियर में 68 शिक्षकों पर फर्जी सर्टिफिकेट से नौकरी पाने के मामले में एफआईआर हो चुकी है।

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वहीं मध्य प्रदेश में असिस्टेंट प्रोफेसर बने 150 लोगों के सर्टिफिकेट की भी जांच कराई जाएगी। आयुक्त लोक शिक्षण को शिकायत मिली थी कि फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र लगाकर कई लोगों ने दिव्यांगों का हक मार लिया है और नौकरियां हासिल कर ली है। जिसके बाद आयुक्त लोक शिक्षण अनुभा श्रीवास्तव ने मुरैना कलेक्टर को दिव्यांग प्रमाण पत्रों की जांच करने के निर्देश दिए थे।

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कलेक्टर के शुरुआती जांच में ही मुरैना जिला अस्पताल से जारी किए गए 70 दिव्यांग प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए। जिसके बाद इन सभी 70 अभ्यार्थियों पर मुरैना के सिटी कोतवाली में एफआईआर दर्ज हुई। इसके साथ ही मुरैना जिले में पदस्थ 19 दिव्यांग शिक्षक भी संदेह के दायरे में आ गए।

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