शुभम जायसवाल, राजगढ़। राजगढ़ के 45 वर्षीय पत्रकार योगेश मैथिल की ब्रेन हेमरेज से बुधवार रात राजधानी भोपाल के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। जिसके बाद मृतक की पत्नी रिचा मैथित ने नरसिंहगढ़ एसडीएम अंशुमन राज को अपने पति की मौत के लिए जिम्मेदार बताया है। वहीं पत्रकार की मौत के बाद जिले के साथी पत्रकार एसडीएम को हटाने और मामले में न्यायिक जांच कराने की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे। कलेक्टर, राज्यपाल, मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया। 

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दरअसल, जिले के नरसिंहगढ़ में पत्रकार योगेश की पत्नी रिचा मैथिल बालिका छात्रावास की अधीक्षिका है। बताया जा रहा है कि 23 अगस्त को नरसिंहगढ़ एसडीएम अंशुमन राज ने पत्रकार योगेश मैथिल पर पॉस्को एक्ट में कार्रवाई करने को लेकर कारण बताओ नोटिस दिया गया था।

नोटिस में लिखा था कि प्रशासन की टीम ने 24 अगस्त को छात्रावास का निरीक्षण किया था। जिसमें छात्राओं ने योगेश मैथिल पर अभद्र व्यवहार करने का आरोप लगाया था। जिसे लेकर पत्रकार को नोटिस जारी कर उनकी पत्नी को छात्रावास की अधीक्षिका पद से भी हटाया गया था। मृतक योगेश मैथिल की पत्नी का एसडीएम पर आरोप है कि धमकी भरे पत्र से उनके पति सदमे में आए और ब्रेन हेमरेज के शिकार हुए। 

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एसडीएम के पत्र पर उठे सवाल ?

नरसिंहगढ़ एसडीएम द्वारा 23 अगस्त को जारी इस नोटिस पर कई सारे सवाल खड़े हो गए हैं। 23 तारीख को जारी इस पत्र में लिखा है कि मृतक पत्रकार के खिलाफ शिकायत 23 अगस्त को की गई है, ऐसे में संदेह होता है कि पॉक्सो एक्ट का हवाला देकर यह धमकी भरा पत्र प्रायोजित साजिश के तहत जारी हुआ है। कस्तूरबा गांधी छात्रावास में निरीक्षण की स्क्रिप्ट एक दिन पहले ही लिख दी गई।  छात्रावास में निरीक्षण दिनांक 24 अगस्त को होता है ,और कारण बताओं नोटिस 23 अगस्त को ही जारी कर दिया जाता है।

आरोप है कि जब प्रशासन को बालिकाओं द्वारा इतनी गंभीर शिकायतें मिली थी तो क्यों ना पॉस्को एक्ट में मामला दर्ज करवाया जाता। इस  तरह धमकी भरा नोटिस क्यों थमाया गया। सवाल उठता है कि पॉक्सो एक्ट में कार्रवाई पुलिस को करनी होती है। रहा सवाल नोटिस का तो पॉक्सो एक्ट मे नोटिस देने का कोई प्रावधान नहीं है,सीधे प्रथमिकी दर्ज होती है। इसलिए ये मामला संदेह के घेरे में है। जिसकी मृतक के परिजनों और साथी पत्रकारों द्वारा जांच की मांग की जा रही है।   

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