Who is Dr. Swati Nayak, agricultural scientist of Odisha? भुवनेश्वर. कृषि वैज्ञानिक डॉ. स्वाति नायक ने एक बार फिर ओडिशा का नाम दुनिया में रोशन किया है. उन्हें प्रतिष्ठित नॉर्मन बोरलॉग फील्ड पुरस्कार 2023 मिला है. स्वाति को यह सम्मान कृषि और खाद्य उत्पादन में उनके योगदान के लिए मिला है. विश्व खाद्य पुरस्कार निगम की और से Field Research और Application के क्षेत्र में योगदान के लिए उनको यह सम्मान दिया जा रहा है.
वह यह पुरस्कार पाने वाली भारत की दूसरी और ओडिशा की पहली महिला होंगी. यह पुरस्कार समारोह अक्टूबर माह में संयुक्त राज्य अमेरिका की Lowa state Capital में आयोजित होने जा रहा है. इसमें डॉ. स्वाति भाग लेंगी और पुरस्कार प्राप्त करेंगी. उन्होंने कहा कि एक युवा वैज्ञानिक के तौर पर यह पुरस्कार पाकर वह सम्मानित महसूस कर रही हैं. वे वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय अनाज अनुसंधान संस्थान में कृषि वैज्ञानिक के रूप में कार्यरत हैं. विभिन्न क्षेत्रों से स्वाति नायक को बधाइयां मिल रही हैं.
मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने डॉ स्वाति नायक को इस उपलब्धि पर बधाई दी. उन्होंने कहा, ” कृषि और खाद्य उत्पादन के क्षेत्र में उनका उत्कृष्ट योगदान दुनिया भर के युवा वैज्ञानिकों को प्रेरित करेगा. हम उनके भविष्य के लिए शुभकामनाएं देते हैं.” स्वाति भारत की दूसरी और ओडिशा की पहली महिला हैं, जिन्हें यह सम्मान मिलेगा.
क्या है डॉ स्वाति नायक की उपलब्धियां
डॉ. स्वाति नायक ने एशिया और अफ्रीका के विभिन्न देशों में विभिन्न पारिस्थितिक तंत्रों में हजारों छोटे किसानों के साथ काम करते हुए 500 से अधिक चावल की किस्मों के लिए 10 हज़ार से अधिक व्यापक ऑन-फार्म परीक्षण आयोजित किए हैं. इस व्यापक प्रयास से उन्होंने 20 से अधिक आशाजनक जलवायु- अनुकूल और बायोफोर्टिफाइड चावल किस्मों का प्रसार किया. इस प्रक्रिया ने किसानों, महिलाओं और पुरुषों को अपनी उपज अधिकतम करने, पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने और अपने आर्थिक भविष्य को सुरक्षित करने के लिए सशक्त बनाया है.
डॉ नायक ने चावल की नई किस्मों के मूल्यांकन में महिलाओं को बड़े पैमाने पर शामिल किया. इस प्रक्रिया में, उन्होंने दक्षिण एशिया में कई महिला समूहों को किस्म चयन, बीज उत्पादन, विपणन और व्यवसाय विकास में प्रशिक्षित किया. उन्होंने महिलाओं और छोटे किसानों के नेतृत्व में कई बीज उत्पादक व्यवसायों की स्थापना में योगदान दिया है. डॉ नायक के प्रयासों से वर्ष 2022 में, महिलाओं द्वारा चलाये जा रहे बीज उद्यम के माध्यम से लगभग 8.5 मीट्रिक टन गुणवत्ता वाले बीजों का उत्पादन, वितरण और बिक्री हुई . उनके कार्यक्रमों में, चाहे वे खेत पर किस्मों का परीक्षण, प्रदर्शन प्लॉट, चावल किस्म का मूल्यांकन, या बीज उत्पादन हों, 40% से अधिक महिला किसान रही हैं. डॉ नायक के शोध से न केवल उत्पादकता में वृद्धि हुई है, बल्कि महिलाओं की आय , निर्णय लेने के अधिकार और समग्र सशक्तिकरण में भी वृद्धि हुई है.