सुधीर दंडोतिया, भोपाल। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने खंडवा, बड़वानी, धार और खरगोन जिले के बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों के दौरे से लौटकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को खुला पत्र लिखा है। उन्होंने बताया कि कैसे भाजपा को विधानसभा चुनाव में लाभ पहुंचाने के लिए इंदिरा सागर बांध का पानी रोका गया और प्रधानमंत्री के जन्मदिन मनाने के लिए सरदार सरोवर बांध का पानी गुजरात सरकार ने रोका। बाद में इन बांधों में ज्यादा पानी के दवाब के चलते बांध के सभी गेटों को खोलने से अफरा तफरी मच गई।

दिग्गी ने कहा कि इन प्रायोजित आयोजनों को सफल बनाने के लिए जहां एक ओर प्रदेश के कुछ जिलों को शासन प्रशासन निर्मित बाढ़ से जूझना पड़ा, तो दूसरी तरफ नर्मदा पट्टी के ग्रामों की जनता बिना किसी प्राकृतिक आपदा के असमय, अकारण बाढ़ का शिकार हो गई। पूर्व सीएम ने पत्र में बाढ़ की वजह से डूब क्षेत्रों के पीढ़ित लोगों के अस्त व्यस्त जीवन को पटरी पर लाने के लिए उनकी मांगे भी लिखी है।

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कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने पत्र में लिखा- राजनैतिक लाभ के लिये नर्मदांचल में निमाड़ क्षेत्र में रहने वाले हजारों लोगों के घर उजाड़ने की दो घटनाएं वोटों की खातिर हुई। प्रदेश के ज्ञात इतिहास की यह निंदनीय घटना है, जिसमें लोगों की जान जोखिम में डालकर मां नर्मदा के किनारे रहने वाले हजारों किसानों, मजदूरों और व्यापारियों को तबाह कर दिया गया।

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पत्र में बताई डूब प्रभावितों की मांगें

  • डूब से प्रभावित समस्त ग्रामों को अन्य स्थान पर विस्थापित किया जाए।
  • जो भूमि डूब में आती है उसका मुआवजा भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के अंतर्गत किया जाए।
  • प्लॉट आवंटन के साथ ही उन्हें आवास निर्माण की राशि स्वीकृत की जाए।
  • जिन ग्रामों में मकान इस बाढ़ के पानी से प्रभावित हुए है उनका समय-सीमा में सर्वे कराया जाए।
  • डूब में प्रभावित परिवारों को तत्काल राहत दी जाए।
  • अभी तक जो सर्वे हुआ है वहाँ कही भी नुकसान का पंचनामा नही बनाया गया है जो कि बनाना अनिवार्य है।
  • कम से कम 3 माह का मुफ्त में राशन दिया जाए।
  • जनजानि पशुहानि का तत्काल मुआवजा दिया जाए।
  • कपड़े, बर्तन, बिस्तर, फर्नीचर आदि का पर्याप्त मुआवजा तत्काल दिया जाए।
  • ओंकारेश्वर के दुकानदारों से अनेक अनावश्यक प्रमाण-पत्र मांगे जा रहे है। छोटे दुकानदारों के बैठने के स्थान पर तार लगाए जा रहे हैं जिससे उनका रोजगार छिन जाएगा।
  • कई खेतों में मिट्टी चली गई और पूरे तरीके से खेत बर्बाद हो गए, उसका भूमि अधिग्रहण कानून के अनुसार भुगतान किया जाए।
  • सभी मुआवजा वितरण की प्रक्रिया निष्पक्ष रूप से पारदर्शी होना चाहिए।

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