नई दिल्ली। आजादी के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप में करीब 565 से ऐसी रियासतें थीं, जो एक स्वतंत्र देश की तरह थीं. ऐसे में आजादी के बाद जब भारतीय नेताओं के सामने देश की सरकार और शासन तंत्र का ढांचा तैयार करते समय सबसे कठिन काम इन रियासतों को भारतीय संघ में शामिल करना था. इस कार्य के लिए पहले गृह मंत्री के तौर पर सरदार वल्लभभाई पटेल का नाम प्रमुखता से लिया जाता है, लेकिन पर्दे के पीछे एक और शख्स की अहम भूमिका था, उनका नाम वीपी मेनन है.

भारत की आजादी की कहानी में देश की बिखरी रियासतों को एक करने में जुटे देश की कार्यवाहक सरकार के गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल के जिम्मे आई थी. उस समय वीपी मेनन सरदार पटेल के सचिव के रूप में सबसे महत्वपूर्ण सहयोगी के तौर पर काम करने के लिए नियुक्त किए गए थे. ये सरदार पटेल और वीपी मेनन की जुगलबंदी ही थी, जिन्होंने विभिन्न रियासतों के राजाओं को येन केन प्रकारेण मनाया और पूरे भारत को एक राष्ट्र में पिरोया.

संघर्ष में बीता बचपन

राव बहादुर वप्पला पंगुन्नी मेनन का जन्म 30 सितंबर 1893 को केरल के मालाबार क्षेत्र के ओट्टापालम में हुए था. उनके पिता चुनंनगाड़ शंकर मेनन एक विद्यालय में प्रधानाचार्य थे. बचपने में ही अपने घरवालों पर पढ़ाई का बोझ ना पड़े इसलिए वीपी घर से भाग गए. पहले उन्हें रेलगाड़ी में कोयला झोंकने का काम किया, फिर खनिक का काम किया. बेंगलुरू में एक तंबाकू कंपनी में मुंशी का काम किया.

पूरी तरह से सेल्फ मेड थे मेनन

मेनन पूरी तरह से सेल्फ मेड व्यक्ति थे. उन्होंने कभी औपचारिक शिक्षा या डिग्री हासिल नहीं की. अंग्रेजी प्रशासन में उनकी शुरुआत एक टाइपिस्ट के तौर पर हुई. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा और स्टेनोग्राफर, फिर क्लर्क का काम करने के बाद अंग्रेजी प्रशासन में वायसराय के सचिव पद तक पहुंच गए थे.

सरदार पटेल के साथ

आजादी के समय मेनन को सरदार पटेल के अधीन राज्य मंत्रालय का सचिव बनाया गया है. पटेल मेनन की राजनैतिक कुशलता और कार्य करने के तरीके से पहले से ही प्रभावित थे. उन्होंने भी मेनन के यथोचित सम्मान दिया. भारत में रियासतों के विलय के दौरान दोनों में बेहतरीन समन्वय देखने को मिला. मेनन न पटेल केस थ 565 रियासतों के जोड़ने में पूरा सहयोग देते हुए सारी योजनाओं का शानदार क्रियान्वयन किया.

एकीकरण में मेनन का कौशल

मेनन ने ही पटेल को सलाह दी थी कि अगर राजाओं को प्रतिरक्षा और विदेश कार्यों के साथ संप्रेषण की जिम्मेदारी भी भारत सरकार को मिल जाए तो एकीकरण ज्यादा आसान हो जाएगा. मेनन ही पटेल की तरफ से विभिन्न राजाओं से मिला करते थे, और शुरुआती स्तर पर राजाओं को विलय के मनाया करते थे. जूनागढ़ और हैदारबाद के विलय जैसे जटिल मामलों में मेनन की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका थी.

कश्मीर के विलय में महती भूमिका

यहां तक कि कश्मीर के भारत में औपचारिक विलय के मामले में भी मेनन की सक्रिय भूमिका काबिले तारीफ रही थी. भारत और पाकिस्तान के बंटवारे की प्रक्रिया बहुत ही जटिल काम था, जिसमें दोनों देशों के बीच सेना, सेवाओं सहित बहुत ही चीजों का बंटवारा होना था. ऐसे में मेनन ने तत्कालीन वायसराय के राजनैतिक सलाहकार के नाते बहुत ही कुशलता से छोटे-छोटे काम तक अंजाम दिए थे.

स्वतंत्र पार्टी में हुए शामिल

देश को मेनन की सेवाएं सरदार पटेल की मृत्यु के बाद ज्यादा नहीं मिलीं. पटेल की मृत्यु के बाद उन्होंने प्रशासन सेवा से इस्तीफा दे दिया . 1951 मे वे ओडिशा के राज्यपाल बनाए गए. उन्हें वित्त आयोग का सदस्य भी बनाया गया. बाद में उन्हें स्वतंत्र पार्टी की सदस्यता भी ग्रहण की, लेकिन चुनाव नहीं लड़ा. 31 दिसंबर 1965 को 72 साल की उम्र में उनका देहांत हो गया.