शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्य प्रदेश में चुनावी माहौल के बीच बिजली कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अपनी मांगों को लेकर तीन बड़े बिजली संगठन एक साथ आए। बिजली कर्मियों की महापंचायत नहीं बुलाने का आरोप है। वहीं 2 अक्टूबर यानी गांधी जयंती के दिन उपवास ध्यान आकर्षण करेंगे। साथ ही 6 अक्टूबर से कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू होगी।

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चुनावी माहौल में हड़ताल, आंदोलन और प्रदर्शन का सिलसिला जारी है। इसी कड़ी में आंदोलन की राह पर बिजली कर्मचारी संगठन भी चल पड़ा है। तीन बड़े बिजली संगठन मध्यप्रदेश विद्युत मंडल अभियंता संघ, यूनाइटेड फोरम, पावर इंजीनियर एम्पलाइज एसोसिएशन अपनी मांगों को लेकर एक साथ आए हैं।

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कर्मचारियों का बिजली कर्मियों की महापंचायत नहीं बुलाने का आरोप है। ऊर्जा सचिव के लिखित समझौते के बाद भी मांगे पूरी नहीं हुई हैं। जिसके चलते अब कल 2 अक्टूबर गांधी जयंती को उपवास ध्यान आकर्षण करेंगे। बता दें कि 70 हजार बिजली कर्मी एवं 52 हजार पेंशनर आंदोलन पर है। जिसके चलते प्रदेश की विद्युत व्यवस्था बिगड़ सकती है। बिजली कर्मचारी अपनी 8 सूत्री मांगों को लेकर आंदोलन कर रहा है।

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यह है मुख्य मांगे

ज्वाइंट वेन्चर एवं टीबीसीबी वापस लें। पेंशन की सुनिश्चित व्यवस्था, डी. आर. के आदेश, चतुर्थ वेतनमान के आदेश। सातवें वेतनमान में 03 स्टार मैट्रिक्स विलोपित किया जाये। संविदा का नियमितिकरण एवं सुधार उपरांत वर्ष 2023 संविदा नीति लागू करें। आऊटसोर्स की वेतन वृद्धि के साथ 20 लाख का दुर्घटना बीमा एवं 3 हजार जोखिम भत्ता करें। कर्मचारियों की वेतन विसंगति दूर कर मूल वेतन 25300 रुपए से अधिक किया जाए, वर्ष 2018 के बाद के कनिष्ठ अभियन्ताओं की वेतन विसंगति दूर की जाएं। उच्च शिक्षा प्राप्त कनिष्ठ अभियन्ताओं को सहायक अभियंता एवं कर्मचारियों को कनिष्ठ अभियंता की नियुक्ति हेतु नीति बनाई जाये। ट्रांसमिशन में आई. टी. आई. कर्मचारियों को क्लास 4 की जगह क्लास 3 में रखा जाए। अन्य मांगे जैसे सभी वर्गों की वेतन विसंगतियां, अनुकंपा नियुक्ति में मध्यप्रदेश शासन अनुसार नीतियों में सुधार, कैसलेस मेडिक्लेम पॉलिसी, गृह जिले में स्थानांतरण, संगठनात्मक संरचना का पुनर्निरीक्षण एवं अन्य मांग शामिल है।

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