पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद. दो दशक पहले खून के अभाव में जब मरीजों की जान जा रही थी, तब देवभोग के युवा बिलभद्र यादव न केवल इलाके के लिए चलता फिरता ब्लड बैंक बने, बल्कि देवभोग में ब्लड बैंक नहीं खुलते तक वैवाहिक बंधन में भी न बंधने की प्रतिज्ञा ले ली. बीलभद्र 45 साल की उम्र में 58 बार रक्तदान कर चुके हैं. 200 युवाओं का समूह बना कर सैकड़ों लोगों को खून दिला चुके हैं. बीलभद्र के संघर्ष के बाद अब जाकर देवभोग में ब्लड यूनिट खुला है.
देवभोग के वार्ड क्रमांक 3 में रहने वाले बीलभद्र यादव 23 साल पहले खून के लिए भटक रहे गायनिक समस्या से जूझ रही महिला सावित्री सिंदूर के लिए पहली बार रक्तदान किए. उस समय प्रशासन की बागडोर भोपाल से संचालित थी. स्वास्थ्य सेवा के नाम पर देवभोग में केवल एक डॉक्टर के भरोसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित था. उच्च सेवा के लिए रायपुर 221 किलोमीटर दूर था. लिहाजा इलाके की सारी आबादी ओडिशा के कालाहांडी जिले पर निर्भर थी. पूरी तरह से स्वास्थ्य हो चुकीं सावित्री बाई बताती हैं कि खून नहीं मिलने के कारण तीन दिन तक ऑपरेशन टाल दिया गया था. फिर बीलभद्र को पता चला तब इनकी उम्र 22 साल की थी. सिंदूर परिवार की मदद के लिए बीलभद्र ने भवानीपटना में पहला रक्तदान किया. इसके बाद रक्तदान का सिलसिला जारी रहा. समस्या को देखते हुए यादव ने बार-बार शासन-प्रशासन को ब्लड बैंक की सुविधा दिलाने के लिए मांग पत्र भेजा. छत्तीसगढ़ के आस्तित्व में आने के बाद हर उस दफ्तर तक अपनी मांग को पहुंचाया, जहां से उन्हें उम्मीद थी. उनकी कोशिश जारी रही. लेकिन बिजली की परेशानी इस मांग के लिए रोड़ा बन रही थी. ब्लड स्टोरेज के लिए जरूरी उपकरण चलने लायक बिजली तक उस समय गरियाबंद में नहीं थी. आखिरकार 2023 में 132 लाइन की सुविधा मिली, वोल्टेज पर्याप्त आया और बिजली नियमित हुई.
तीन महीने पहले ही देवभोग में बल्ड स्टोरेज यूनिट खोला गया. बीएमओ डॉक्टर सुनील रेड्डी ने कहा कि यहां अब तत्काल जरुरतमंद मरीज को ब्लड मिलेगा. संस्था ने पहला रक्तदान शिविर 29 सितंबर को आयोजित किया. जिसमें 45 साल के हो चुके बीलभद्र यादव ने 58वीं बार रक्तदान कर शिविर की शुरुआत की. यादव से प्रेरित होकर 23 अन्य लोगों ने भी रक्तदान किया. यादव ने कहा कि मेरा संकल्प पूरा हुआ. उम्र के इस पड़ाव में मुझे जीवन साथी मिले न मिले इस बात का कोई गम नहीं रहेगा. लेकिन खुशी जिंदगी भर के लिए रहेगी की मैं जरुरतमंद लोगों के काम आता रहूंगा.
20 साल पहले विवाह न करने की ली प्रतिज्ञा
छत्तीसगढ़ के आस्तित्व में आने के बाद जोगी सरकार बनी, सरकार आते ही सुविधा और संसाधन बढ़ने लगे थे. 2003 में भाजपा सरकार के आते ही प्रदेश में मूलभूत सुविधाएं पटरी पर आना शुरू हुई थी. तब यादव ने प्रदेश सरकार के सामने ब्लड बैंक की मांग रखना शुरू कर दिया था. यही वो समय था जब बीलभद्र ने ब्लड बैंक नहीं खुलने तक विवाह नहीं करने का संकल्प ले लिया. इसकी वजह पूछने पर वे बताते हैं कि शादी पारिवारिक जिम्मेदारी, सार्वजनिक जिम्मेदारी पर बाधा बन जाती. भौतिक और शारीरिक रूप से मैं प्रभावित रहता. मांग महत्वपूर्ण थी, मुझे लगा था कि इसे सरकार प्राथमिकता में रखेगी. लेकिन सब सोच के विपरीत हुआ. पिछले 20 साल में 50 से भी ज्यादा आवेदन मैनें किया. अब जाकर ब्लड स्टोरेज यूनिट खुला.
स्वच्छता और नशा मुक्ति के खिलाफ भी चलाया अभियान
बीलभद्र बचपन से ही गांधीवादी विचारधारा से प्रभावित थे. 12वी पढ़ने के बाद आईटीआई की शिक्षा लेने वाले यादव के दिन की शुरुआत गांधी वंदन से होती है. पिछले 15 साल से यादव स्वच्छता और नशामुक्ति का अभियान चलाते आ रहे हैं. उनके साथ जुड़े युवाओं की टोली रक्तदान, स्वच्छता और नशा मुक्ति के अभियान में सहयोग करते हैं. रक्तदान करने वाले समूह के नाम से एक वॉट्सएप ग्रुप से बीलभद्र अपने अभियान को गति दे रहे हैं. पिछले 10 साल से यादव देवभोग पंचायत के वार्ड 3 के पंच हैं. ये इकलौता ऐसे पंच हैं जो फावड़ा लेकर नालियों की सफाई खुद करते हैं. इन्हें देवभोग रत्न के अलावा जिला पंचायत के स्वच्छ भारत मिशन के नवरत्न का भी दर्जा मिला हुआ है.
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