-डॉ. वैभव बेमेतरिहा

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान आज हुआ है. तारीखों के ऐलान के साथ ही 64 सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों का ऐलान भी हो गया. आज जारी हुई सूची के साथ ही भाजपा ने 90 में से 85 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. अब सिर्फ 5 सीट शेष रहे गए हैं, जहां प्रत्याशी अब घोषित नहीं है.

भाजपा ने उम्मीदवारों की पहली सूची 17 अगस्त को जारी की थी. चुनाव तारीख के ऐलान से करीब 2 महीने पहले. इस तरह से दूसरी सूची जारी करने में भाजपा ने गहन चिंतन और मंथन किया होगा यह दो महीने के लंबे अंतराल को देखकर लग रहा है. हालांकि पहली सूची आने के साथ कई सीटों पर पार्टी में भारी विरोध के स्वर भी उठे थे. वहीं दूसरी सूची आने से पहले वायरल हुई लिस्ट के साथ ही भारी बवाल भी मचा था. अब अधिकृत रूप से घोषणा के बाद विरोध, प्रदर्शन और बवाल भाजपा में और खुलकर सामने आएगा या सबकुछ पार्टी ने मैनेज कर लिया है इसके लिए थोड़ा इंतजार करना होगा.

फिलहाल 90 में 85 सीटों का पूरा समीकरण समझिए

छत्तीसगढ़ में 2003 से लेकर 2018 में हुए चुनाव में 43 उम्मीदवार ऐसे हैं, जो पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे. वहीं शेष 42 प्रत्याशी पूर्व में चुनाव लड़ चुके हैं.

पूर्व में चुनाव लड़ चुके 42 उम्मीदवारों में 31 ऐसे हैं, जिनमें से वर्तमान में 12 विधायक हैं, जबकि 19 पूर्व विधायक हैं. इनमें 15 ऐसें जो कि रमन सरकार में मंत्री रह चुके हैं.

11 वर्तमान विधायक– 1. डॉ. रमन सिंह (तीन बार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं), 2. बृजमोहन अग्रवाल (मंत्री रह चुके हैं), 3. ननकीराम कंवर (मंत्री रह चुके हैं ), 4. अजय चंद्राकर (मंत्री रह चुके हैं), 5. पुन्नूलाल मोहले (मंत्री रह चुके हैं), 6. कृष्णमूर्ति बांधी ( मंत्री रह चुके हैं), 7. नारायण चंदेल (नेता-प्रतिपक्ष हैं), 8. धरमलाल कौशिक (पूर्व में विधानसभा अध्यक्ष रह चुके हैं), 9 शिवरतन शर्मा, 10. रंजना दीपेन्द्र साहू, 11. सौरभ सिंह.

इनके साथ ही वर्तमान विधायकों में 12. धर्मजीत सिंह भी हैं, जो 2018 में जोगी कांग्रेस से जीतकर आए थे. इस बार भाजपा की टिकट से लड़ रहे हैं.

पूर्व विधायकों में-

  1. रेणुका सिंह ( वर्तमान में सरगुजा से सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री हैं, रमन सरकार में भी मंत्री रह चुकी हैं), 2. प्रेम प्रकाश पाण्डेय( विधानसभा अध्यक्ष रह चुके हैं ), 3. भैय्यालाल राजवाड़े ( मंत्री रह चुके हैं), 4. अमर अग्रवाल (मंत्री रह चुके हैं), 5. केदार कश्यप( मंत्री रह चुके हैं), 6. महेश गागड़ा (मंत्री रह चुके हैं ), 7. विक्रम उसेंडी( मंत्री रह चुके हैं), 8 राजेश मूणत (मंत्री रह चुके ), 9. दयालदास बघेल ( मंत्री रह चुके हैं) 10. लता उसेंडी (मंत्री रह चुकी हैं), 11. खिलावन साहू, 12. गोवर्धन मांझी, 13. डोमन लाल कोरसेवाड़ा, 14. विनोद खांडेकर, 15. वीरेन्द्र साहू, 16. श्रवण मरकाम, 17. संजीव साहा, 18. विष्णुदेव साय ( केन्द्र में मंत्री रह चुके हैं)

इनके साथ ही पूर्व विधायकों में 19.रामदयाल उइके भी हैं, जो कि 2018 के चुनाव के ठीक पहले कांग्रेस छोड़ भाजपा में लौट आए थे. 1998 में भाजपा की टिकट से मरवाही से विधायक बने थे, बाद में तीन बार पाली तानाखार से कांग्रेस पार्टी से विधायक रहे.

महिला फैक्टर

85 में कुल 14 महिला उम्मीदवार हैं. भरतपुर सोनहत- रेणुका सिंह, चंद्रपुर संयोगिता सिंह, पत्थलगांव- गोमती साय, लैलूंगा- सुनीति राठिया, जशपुर- रायमुनि भगत, सारंगगढ़- शिवकुमारी चौहान, धमतरी- रंजना दीपेन्द्र साहू, कोंडागाँव- लता उसेंडी, भटगाँव- लक्ष्मी राजवाड़े, प्रतापुर- शंकुतला पोर्ते, सरायपाली- सरला कोसरिया, खुज्जी- गीता घासी साहू, खल्लारी- अल्का चंद्रकार, सामरी- उधेश्वरी पैकरा शामिल हैं.

इस तरह महिला फैक्टर की बात करे तो भाजपा भले ही महिला आरक्षण कानून केंद्र में पास कराने का वाहवाही लूट रही हो, लेकिन छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में इसका असर नहीं दिख रहा है. 90 सीटों में वाले छत्तीसगढ़ में घोषित 85 में सिर्फ 14 सीटों पर महिलाओं को मौका पार्टी ने दिया है. चर्चा देश भर में 33 फीसदी की भले हो रही है, लेकिन यहाँ 15 प्रतिशत ही आंकड़ा जा रहा है. जबकि छत्तीसगढ़ में महिला आबादी पुरूषों के अनुपात में भी ज्यादा है. कहा जाता है कि मतदान करने में महिलाएं ज्यादातर सीटों में आगे रहती है. चुनाव में महिला मतदाता जीत-हार में अहम भूमिका निभाती हैं.

युवा फैक्टर

भाजपा अध्यक्ष अरुण साहू के मुताबिक 85 सीटों में से 34 सीटों पर युवाओं को मौका दिया गया.

छत्तीसगढ़ युवा मतदाताओं की बात करे तो 65 फीसदी से अधिक है. ऐसे में आधी सीटों में भी युवाओं को मौका भाजपा नहीं दे पाई है. जबकि बात नए चेहरों अधिक-अधिक युवा को राजनीति में आगे लाने की बात पार्टी की ओर से हर अवसर पर कही जरूर जाती है. इस चुनाव में युवा मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं, क्योंकि युवाओं से जुड़ा मुद्दा चुनाव के केंद्र बिंदू में है.

सामाजिक फैक्टर

85 सीटों में 29 अनुसूचित जनजाति और 10 अनुसूचित जाति वर्ग की सीटें शामिल हैं. इस तरह से आरक्षित 39 सीट के साथ ही एक सामान्य सीट प्रेमनगर से भी आदिवासी वर्ग से भूलन सिंह मरावी उम्मीदवार हैं, जबकि शेष 45 सीटों का सामाजिक फैक्टर क्या है जानिए.

अन्य पिछड़ा वर्ग से कुल 29 उम्मीदवार हैं. इनमें-

साहू समाज से 10 :- लोरमी- अरुण साव, गुंडरदेही- वीरेन्द्र साहू, साजा- ईश्वर साहू, धमतरी- रंजना दीपेन्द्र साहू, सक्ती- खिलावन साहू, रायपुर ग्रामीण- मोतीलाल साहू, खरसिया- महेश साहू, अभनपुर- इंद्रकुमार साहू, राजिम- रोहित साहू, खुज्जी- गीता घासी साहू.

कुर्मी समाज से 8 : – पाटन- विजय बघेल, कुरुद- अजय चंद्राकर, बिल्हा- धरमलाल कौशिक, जांजगीर- नारायण चंदेल, दुर्ग ग्रामीण- ललित चंद्राकर, बलौदाबजार- टंकराम वर्मा, जैजैपुर- कृष्णकांत चंद्रा, खल्लारी- अल्का चंद्राकर

राजवाड़े समाज से 2 :- बैंकुठपुर- भैय्यालाल राजवाड़े, भटगाँव- लक्ष्मी राजवाड़े

यादव समाज से 2 :- दुर्ग शहर- गजेन्द्र यादव, बालोद- राकेश यादव

कलार समाज से 2 :- मनेन्द्रगढ़- श्याम बिहारी जयसवाल, महासमुंद- योगेश्वर राजू सिन्हा

लोधी समाज से 1 :- डोंगरगांव- भरत वर्मा

मरार समाज से 1 :- कटघोरा- प्रेमचंद्र पटेल

देवांगन समाज से 1:- कोरबा- लखन देवांगन

अघरिया समाज से 1 :- रायगढ़- ओपी चौधरी

सेन समाज से 1 :- वैशाली नगर- रिकेश सेन

शामिल हैं.

सामान्य वर्ग से 16 उम्मीदवार हैं. इनमें-

राजपूत(ठाकुर) समाज से 7 :- राजनांदगांव- डॉ. रमन सिंह, अकलतरा- सौरभ सिंह, तखतपुर- धर्मजीत सिंह, कोटा- प्रबल प्रतात सिंह जूदेव, चंद्रपुर- संयोगिता सिंह जूदेव, जगदलपुर- किरण देव, खैरागढ़- विक्रांत सिंह

ब्राम्हण समाज से 5 :- भिलाई नगर- प्रेम प्रकाश पाण्डेय, भाटापारा- शिवरतन शर्मा, धरसींवा- अनुज शर्मा, कवर्धा- विजय शर्मा, रायपुर उत्तर- पुरंदर मिश्रा (उड़िया समाज से)

अग्रवाल समाज से 3 :- रायपुर दक्षिण- बृजमोहन अग्रवाल, बिलासपुर- अमर अग्रवाल, बसना- संपत अग्रवाल

जैन समाज 1 :- रायपुर पश्चिम- राजेश मूणत शामिल हैं.

सामाजिक फैक्टर को देखकर लग रहा है कि भाजपा ने सभी वर्गों को साधने की कोशिश की है. लेकिन जिस तरह से देश भर में जातिगत जनगणना का मुद्दा गरमाया है उसमें पार्टियों की ओर से जातियों को किस तरह से साधा जा रहा यह भी मतदाता जरूर देख रहे होंगे. कांग्रेस इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाने में कहीं कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है.

परिवारवाद फैक्टर

85 में 4 सीटें ऐसी हैं, जिससे भाजपा पर परिवारवाद का आरोप लगेगा. कांग्रेस इसे मुद्दे को उठाती रही और इस चुनाव में भी उठा सकती है.
डॉ. रमन सिंह के परिवार से दो उम्मीदवार हैं. एक डॉ. रमन सिंह और दूसरे उनके भांजे विक्रांत सिंह. इसी तरह से जूदेव परिवार से दो उम्मीदवार हैं. एक संयोगिता सिंह जूदेव और दूसरे प्रबल प्रताप सिंह जूदेव.

कहीं जनता और कार्यकर्ताओं की नाराजगी भारी न पड़ जाए- राम अवतार तिवारी

वरिष्ठ पत्रकार राम अवतार भाजपा की दूसरी सूची को देखकर हैरान हैं. उनका कहना है कि भाजपा की जैसी तैयारी दिख रही थी, जिस तरह की मेहनत जमीन पर जाकर वरिष्ठ नेताओं ने किया था, रायपुर से लेकर दिल्ली के स्तर पर कई सर्वे और छानबीन हुए उसके बाद ऐसी टिकट की उम्मीद पार्टी के कार्यकर्ता शायद नहीं कर रहे थे. और शायद उन मतदाताओं को भी ये उम्मीद नहीं थी, जिन्होंने 15 साल वाली भाजपा को 2018 के चुनाव में 15 सीटों पर ढकेल दिया था. क्योंकि 15 साल की सरकार के बाद जनता के बीच रमन सरकार में मंत्री रहे कई वरिष्ठ नेताओं को लेकर नाराजगी रही है. ये नाराजगी आज भी पूरी तरह से खत्म नहीं हो पाई है. यहाँ तक कि पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच से भी.

85 सीटों में देखा जाए तो रमन सरकार में जितने भी मंत्री रहे हैं उन सभी को पार्टी की ओर से फिर से मौका दिया गया है, सिवाए रामसेवक पैकरा और रमशीला साहू को छोड़कर. रमशीला साहू को तो 2018 में भी टिकट नहीं दिया गया था. वहीं कई ऐसे भी नेता इस लिस्ट में शामिल हैं, जो दो-दो बार चुनाव हार चुके हैं. वहीं कुछ ऐसे भी जो दूसरी पार्टी को छोड़कर आए हैं. वहीं कई सीटें ऐसी भी हैं, जहां खुलकर कार्यकर्ताओं का विरोध दिखाई पड़ रहा है. इन स्थितियों के बीच भाजपा को कहीं 2023 विधानसभा चुनाव में जनता और कार्यकर्ताओं की नाराजगी भारी न पड़ जाए. हालांकि इस बीच भाजपा यह उम्मीद जरूर कर रही होगी कि जिस तरह से सभी दिग्गजों को मैदान में उतारा गया उससे पार्टी को बड़ा फायदा होगा. केंद्रीय मंत्री, पूर्व केंद्रीय मंत्री, तीन बार के मुख्यमंत्री, 4 सांसद सहित कई पूर्व मंत्री खुद तो चुनाव जीतेंगे, बल्कि अपने आस-पास की सीटों को भी जीतवाएंगे. फिलहाल समीकरणों की स्थिति अगले सप्ताह स्पष्ट हो पाएगी, जब कांग्रेस की भी सूची आ जाएगी.

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