पुरी, श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) ने कल एक आदेश जारी किया था जिसमें कहा गया है कि श्रीमंदिर में आशालिन और अत्याधुनिक कपड़े पहनने पर भक्तों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया जाएगा. प्रदेशवासियों के साथ सभी भक्त अब इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि पुरुष, महिला और बाल भक्तों को किस प्रकार के कपड़े पहनने चाहिए.
ऐसे समय में जब एसजेटीए ने पुरुष, महिला और बच्चों के भक्तों के लिए विशिष्ट ड्रेस कोड को स्पष्ट नहीं किया है, दैतापति निजोग के सचिव रामकृष्ण दास महापात्र ने बताया कि भक्तों को कौन से कपड़े पहनने चाहिए.
वरिष्ठ सवायतों ने कहा कैसा होना चाहिए पहनावा
उन्होंने कहा “पुरुष श्रद्धालु पारंपरिक पोशाक, पैंट और शर्ट में आ सकते हैं. इसी तरह महिला श्रद्धालु साड़ी और सलवार सूट पहनकर आ सकती हैं. 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चे हाफ पैंट में आ सकते हैं. रामकृष्ण ने कहा, हाफ पैंट, रिप्ड जींस और स्लीवलेस शर्ट पहनकर आने वालों को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी. साथ ही, सेवकों ने मंदिर के सभी चार द्वारों के पास क्लोकरूम और चेंजिंग रूम की सुविधा की भी मांग की है ताकि कोई भक्त मंदिर में प्रवेश करने से पहले अपने कपड़े आसानी से बदल सके.
वरिष्ठ सेवक बिनायक दास महापात्र ने कहा. “हमारे देश के भक्तों में अपनी पोशाक को लेकर एक शालीनता होती है. लेकिन प्रतिबंध उन भक्तों पर है जो पश्चिमी कपड़े पहनकर आ रहे हैं, ”
एक अन्य वरिष्ठ सेवक, हजूरी कृष्णचंद्र खुंटिया ने कहा, “मंदिर में अनुचित कपड़े पहनकर आने वाले भक्तों की ओर एसजेटीए का ध्यान आकर्षित करते हुए, हम पिछले छह वर्षों से एसजेटीए को पत्र लिख रहे हैं. जागरूकता के लिए पुरी के सभी होटलों और लॉज के नोटिस बोर्ड पर भी पोस्टर लगाए जाने चाहिए.’
भक्तों ने किया इस फैसला का स्वागत
एक महिला भक्त ने कहा “यह एसजेटीए द्वारा लिया गया एक अच्छा निर्णय है. इससे एक अच्छी परंपरा स्थापित होने जा रही है.” इसी बात को दोहराते हुए एक पुरुष भक्त ने कहा, “अगर हम मंदिर में अश्लील कपड़े पहनकर आएंगे तो भक्तों की आध्यात्मिकता प्रभावित होगी.’
बुद्धिजीवियों ने किया विरोध
जहां श्रीमंदिर आने वाले भक्तों ने इस कदम का स्वागत किया, वहीं कुछ बुद्धिजीवियों ने इसका विरोध करते हुए कहा कि अगर किसी भक्त को मंदिर में प्रवेश करने से रोका गया तो वे इसे अदालत में चुनौती देंगे. बुद्धिजीवियों ने सवाल खड़ा किया है कि कपड़े से भक्ती भाव का क्या संबंध है? किसी के पश्चिमी कपड़े पहनने से मंदिर का आध्यात्मिक माहौल कैसे खराब होगा?
एक आरटीआई कार्यकर्ता दिलीप बराल ने मंदिर प्रशासन के इस निर्णय को चुनौती देते हुए कहा “मैं मंदिर में हाफ पैंट और हाफ शर्ट पहनकर आऊंगा. अगर प्रशासन मुझे मंदिर में प्रवेश करने से रोकता है, तो मैं मंदिर प्रशासन के फैसले को चुनौती दूंगा और मामले को अदालत में ले जाऊंगा. ”