रायपुर। पशुधन विकास विभाग की ओर से किसानों को उन्नत नस्ल की गाय पालन के लिए प्रेरित किया जा रहा है. उससे ग्रामीण परिवेश में जीवन यापन करने वाले किसानों के जीवन में खुशहाली आ रही है. गांव में खेती किसानी के साथ ही पशु पालन करना जीवन का अहम हिस्सा है. पशुपालकों की दशा और दिशा सुधारने का कार्य पशुपालन विकास विभाग की ओर से किया जा रहा है. Read More- BIG BREAKING : रवींद्र कुमार अग्रवाल बने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जज, सुप्रीम कोर्ट ने जारी की अधिसूचना

पशुपालन विकास विभाग किसानों को मार्गदर्शन और सहयोग से उन्नत नस्ल की गाय पालन सीखा रहा हैं. पशुपालन विकास विभाग योजना के तहत दुधारू गाय प्रदाय करता है. पशुपालन के चार स्तंभ कुशल प्रबंधन, संतुलित पोषण, उन्नत प्रजनन और रोग नियंत्रण को दृष्टिगत रखते हुए पशुधन विकास विभाग का उद्देश्य समयबद्ध तरीके से पशु स्वास्थ्य सेवा, प्रशिक्षण और विस्तार सेवा के माध्यम से राज्य के पशुधन उत्पाद में वृद्धि करना है.

कोसली एक ‘देसी’ मवेशी नस्ल है, जो मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ के मध्य मैदानी इलाकों में पाई जाती है. इस क्षेत्र का प्राचीन नाम कौशल था, जो भगवान श्रीराम के मामा के नाम पर रखा गया था और इसलिए इसका नाम कोसली पड़ा. कोसली गाय छत्तीसगढ़ की एक मात्र रजिस्टर्ड गाय है. वहीं इसको मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर और जांजगीर जिलों के आसपास के क्षेत्रों में पाला जाता है. वहीं यह गाय छोटे कद काठी की होती है. एनडीडीबी के अनुसार कोसली नस्ल की गाय एक ब्यान्त में अधिकतम 250 लीटर तक दूध देती है. इनके दूध में अधिकतम फैट की मात्रा 4.5 प्रतिशत पाया जाता है.