आलोक मिश्रा, कसडोल. बालौदाबाजार जिले में इन दिनों लगातार तेज बारिश हो रही है. जिसका खामियाजा स्कूल के बच्चों को भुगतना पड़ रहा है. तेज बारिश से ग्राम पंचायत अमलीडीह के पास कड़काड़ी नाले पर बने पुल के ऊपर से पानी बह रहा है. इसके चलते स्कूली बच्चों को जान जोखिम में डालकर नाला पार कर स्कूल जाना पड़ रहा है. राहगीरों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. नाले से ऊपर पानी बहने से बाजारभाठा, गंगई, अमलीडीह के छात्र ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं.
3 साल पहले लगा था शिविर
अमलीडीह में 3 साल पहले जिलास्तरीय जनसमस्या निवारण शिविर में सरपंच रानी यादव ने कड़काड़ी नाले पर पुल की ऊंचाई कम होने की शिकायत कलेक्टर से की थी. इस पर तत्कालीन कलेक्टर बसवराजू ने शीघ्र ही समस्या हल करने का भरोसा दिया था, जिस पर आज तक कोई पहल नहीं की गई है. नाला लवन के जोगी सरोवर से शुरू होकर तीन नदी के संगम पर मिलता है. पालक और जनप्रतिनिधियों ने भी कई बार शिकायत प्रशासन से की जा चुकी है, लेकिन अब तक समाधान नहीं किया गया है.
आश्वासन देकर किया समस्या का निपटारा
ज्ञात हो कि ग्राम पंचायत अमलीडीह में जिला स्तरीय निवारण शिविर लगाया गया था. जहां सरपंच ने उक्त समस्या को कलेक्टर को अवगत कराया था. जिसपर कलेक्टर वासवराजु ने शीघ्र ही समस्या को हल करने का अस्वासन ग्रामीणों को दिया था. जिस पर आज तक प्रशासन की कोई पहल नहीं हो पाई है. बता दें कि यह कड़कड़ी नाला लवन के जोगी सरोवर से प्रारम्भ होकर 17 किलोमीटर चलकर तीन नदियों के संगम पर जाकर मिलती है. समस्याओं से जूझते पालक व स्थानीय जन प्रतिनिधियों ने भी इस मामले में कई बार शिकायत की है, लेकिन अब तक समस्या जस की तस बनी हुई है.
इलाज के लिए दूसरे रास्ते से जाना पड़ता है
जिले के अंतिम छोर में बसे होने के कारण जन प्रतिनिधि भी गांवों का दौरा करने नहीं पहुंचते है. सबसे ज्यादा दिक्कत तब होती है जब गावों में किसी की तबियत खराब होती है. तब एम्बुलेंस भी गांव तक नहीं पहुच पाती है. मरीज को बड़ी मुश्किल से दूसरे रास्ते से लेकर इलाज के लिए ले जाना पड़ता है. वहीं विकास के नाम पर बड़ी बड़ी बातें करने वाली सरकार की पोल इस प्रकार की स्थिति खुद ब खुद खोल देती है.
कड़काड़ी नाला भी उफान पर
छात्रों के अलावा गांव के लोग अपनी दैनिक दिन चर्या को लेकर गांव के बाहर नगर और शहर जाते है. अगर बारिश ज्यादा हुई तो यह कड़काड़ी नाला भी उफान पर आ जाता है. जिससे लोगों की जान का खतरा बढ़ जाता है और काम के लिए अपनी जान की परवाह किए बगैर इस उफनते नाले को पार करते है. लेकिन प्रशासन द्वारा बच्चों औऱ ग्रामीणों के लिए कोई सुध नहीं ली जा रही है.