नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा अर्चना की जाती है, मां की पूजा-अर्चना करने से मान-सम्मान में वृद्धि व उत्तम सेहत प्राप्त होती है

राजा दक्ष की पुत्री देवी सती का पुनर्जन्म शैलपुत्री (हिमालय की पुत्री) के रूप में हुआ था.

कौन हैं देवी शैलपुत्री?

उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में गुलाबी कमल है ये मां दुर्गा का प्रथम स्वरुप हैं.

मां शैलपुत्री की पूजा अभिजीत मुहूर्त प्रातः 11:38 मिनट सें शुरू हो रहा है और दोपहर 12:23 मिनट तक रहेगा.

शुभ मुहूर्त

इस बार 15 अक्टूबर को अभिजीत मुहूर्त प्रातः 11:38 मिनट सें शुरू हो रहा है और दोपहर 12:23 मिनट तक रहेगा

कलश स्थापना

देवी को नारंगी रंग प्रिय है. नारंगी रंग से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.

शुभ रंग

मां शैलपुत्री को दूध से बनी मिठाई का भोग जरूर लगाएं, इसके अलावा आप गाय के घी का भी भोग लगा सकते हैं

भोग

ऊँ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥ वन्दे वांच्छितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्॥ वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

मंत्र

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