नई दिल्ली. बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया को मानवीय बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इसमें अत्यधिक देरी के मुद्दे को उठाया. शीर्ष अदालत ने कहा कि सैकड़ों बच्चे बेहतर जीवन की उम्मीद में गोद लिए जाने का इंतजार कर रहे हैं.
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने कहा कि यह प्रक्रिया वस्तुत रुक गई है. पीठ भारत में बच्चों को गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया को सरल बनाने की मांग सहित दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल रहे.
समय बीतने के साथ स्थिति बदल जाती पीठ ने कहा कि अगर 20-30 साल की उम्र के किसी जोड़े को बच्चा गोद लेने के लिए तीन या चार साल तक इंतजार करना पड़ता है, तो माता-पिता के रूप में उनकी स्थिति और गोद लिए जाने वाले बच्चे की स्थिति समय बीतने के साथ बदल सकती है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा, वे (केन्द्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण-कारा) गोद लेने की प्रक्रिया को अवरुद्ध क्यों कर रहे हैं.