बलरामपुर. उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था के साथ वहां परोजे जा रहे खाना की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं. सरकारी अस्पतालों में घटिया खाना परोसा जा रहा है. गुणवत्ता खराब होने के कारण इसे लेने से मरीज इंकार कर रहे हैं. बलरामपुर के संयुक्त जिला चिकित्सालय व जिला महिला अस्पताल में गुणवत्ताविहीन नाश्ता और भोजन मिलने के कारण मरीज व उनके तीमारदार नाराज हैं.

मरीजों का कहना है कि उन्हें किसी भी दिन गुणवत्तापरक खाना नहीं दिया जा रहा है. जिला अस्पतालों में प्रसूताओं व अन्य वार्डों में भर्ती मरीजों को भोजन व नाश्ता देने की अलग-अलग लोगों पर जिम्मेदारी है. संयुक्त जिला चिकित्सालय में प्रसूताओं व मरीजों को घटिया भोजन परोसा जा रहा है. इस भोजन में न तो मौसमी सब्जी रहती है और न ही फल व दूध है.

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संयुक्त जिला चिकित्सालय में भर्ती मरीजों के परिजनों ने बताया कि उन्होंने भोजन लेने से मना कर दिया है. उन्होंने कहा कि भोजन की गुणवत्ता बेहद खराब रहती है. इसलिए मरीज अपने घरों से खाना व नाश्ता मंगाते हैं. समय से मरीजों को खाना व नाश्ता नहीं दिया जाता है. प्रसूताएं भी खाना व नाश्ता के लिए इंतजार करती रहती हैं.

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बता दें कि संयुक्त जिला चिकित्सालय में प्रसूताओं को भोजन व नाश्ता देने के लिए स्वयं सहायता समूह को लगाया गया है. समूह को सुबह सात से साढ़े आठ बजे के मध्य प्रसूताओं को 200 मिली दूध देना होता है. इसके साथ दो अंडे या पोहा, दलिया या फिर दस ग्राम मक्खन के साथ ब्रेड देने का प्राविधान है. लेकिन डाइट चार्ट का पालन नहीं किया जा रहा है. इसी तरह से दोपहर के भोजन में प्रसूताओं को चार रोटी, चावल, दाल, मौसमी सब्जी, सलाद व दही आदि का इंतजाम होना चाहिए जो प्रसूताओं को नहीं मिल रहा है.

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सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीजों के लिए दूसरा मेन्यू हैं. सुबह नाश्ते में उन्हें नौ बजे तक सेब व दूध देना अनिवार्य है. मरीजों ने बताया कि उन्हें कभी सेब नहीं मिलता है. जो दूध मिलता है वह छोटे से गिलास में पानी मिला रहता है. दोपहर का भोजन जो चावल दाल व सब्जी के साथ है वह भी उन्हें ढंग से नहीं मिलता.

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