बदायूं: किसानों के सामने पराली की विशेष समस्या रहती है। धान की कटाई के बाद उसके बचे अवशेष (पराली) में कुछ किसान आग लगा देते हैं। जिससे पर्यावरण को काफी नुकसान होता है। इससे शासन ने इस पर पूर्णत: रोक लगाने के लिए जिला प्रशासन को निर्देश दिए हैं, साथ ही पराली जलाने वालों पर जुर्माना लगाने को कहा है।

330 रुपये प्रति क्विंटल

कृषि अधिकारी डीके सिंह ने बताया कि दातागंज तहसील में एचपीसीएल (हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड) का प्लांट लगा है। वहां पर किसान अपनी पराली को बेच सकते हैं। एचपीसीएल प्लांट द्वारा 330 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से पराली की खरीदारी की जा रही है। बदायूं जिले में एक केस पराली जलाने का सामने आया था, वह भी संभल जिले के किसान का था।

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प्लांट कर रहा खरीदारी

प्रशासन के मुताबिक, एचपीसीएल प्लांट को पराली बेचकर किसान अपनी आय में बढ़ोतरी कर सकते हैं। खेतों में पराली न जलाएं। ऐसा करने पर संबंधित व्यक्ति पर कार्रवाई भी हो सकती है। केंचुआ को किसानों का दोस्त माना जाता है, क्योंकि वह जमीन को भुरभुरा बनाता है। जिससे उसकी उर्वरा शक्ति बढ़ती है, लेकिन पराली जलाने से केंचुआ समेत अन्य बैक्टीरिया मर जाते हैं। इससे फसल की पैदावार पर असर पड़ता है, साथ ही पर्यावरण भी प्रदूषित होता है।

जलाने पर लगी रोक

गौरतलब है कि पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार ने पराली जलाने पर रोक लगा दी है। इसमें दो हजार से लेकर 15 हजार रुपये तक जुर्माना तय किया गया है। इस साल में जिले में संभल के एक किसान द्वारा जिले के बॉर्डर के समीप पराली जलाने का मामला संज्ञान में आया। उस किसान को समझाया गया, साथ ही संबंधित तहसील प्रशासन को अवगत करा दिया गया।