मनीषा त्रिपाठी,भोपाल। मध्य प्रदेश में 17 नवंबर से विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। जिसे लेकर साइबर पुलिस सक्रिय हो गई है। साइबर पुलिस सोशल मीडिया पर नजर रख कर फर्जी वीडियो वायरल करने वाले को गिरफ्तार करने के साथ उसे जेल भेजेगी। शिखर सम्मेलन में राजनेताओं के मीम्स सामने आए थे, जिसके बाद ये अंदाजा लगाया जा रहा है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए फर्जी वीडियो बन सकते हैं।

मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर आचार संहिता लागू कर दी गई है। वहीं पुलिस प्रशासन भी अब सख्त हो चुका है। सुरक्षा व्यवस्था के साथ लगातार नेताओं की सभी गतिविधियों पर भी नजर रखी जा रही है। वहीं अब चुनावी गतिविधियों पर नजर बनाएं रखने के लिए साइबर पुलिस ने अपना तरीका हाईटेक कर दिया है। चुनाव से पहले सायबर पुलिस ने सक्रियता बढ़ा दी है। अब फर्जी वीडिया या फोटो भेजने पर जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है।

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बतादें कि सायबर पुलिस सोशल मीडिया पर नजर रख रही है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए फर्जी वीडियो बन सकते हैं, जो प्रतिद्वंद्वियों की छवि खराब करने के लिए उपयोग कर सकता है। वहीं शिखर सम्मेलन में राजनेताओं के मीम्स वाले वीडियो एवं तस्वीरें सामने आई थी। जिसके बाद विधानसभा चुनाव के बीच इंटरनेट मीडिया पर राजनीतिक दलों की तल्खी बढ़ा दी गई है।

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सोशल मीडिया में फर्जी वीडियो जमकर वायरल हो रहे है। हाल ही में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का भी एक फर्जी त्यागपत्र वायरल हुआ था। जिसे लेकर जमकर सियासत हुई थी। साइबर क्राइम पुलिस को शंका है कि चुनावी दंगल में आर्टिफिशियल तकनीक का उपयोग कर फर्जी वीडियो बन सकते है। इसके लिए इंटेलिजेंस के वायस रेप्लिकेटिंग तकनीक और डीप फेक सॉफ्टवेयर का इस्तमाल होता है।

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