वाराणसी. जिले में स्टांप विभाग ने कार्रवाई कर बड़ा खुलासा किया है. स्टांप विक्रेताओं द्वारा की जा रही फर्जीवाड़े को सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे. केवल दस रुपये के ई-स्टांप को बेहद सफाई से छेड़छाड़ कर एक लाख दस हजार पांच सौ रुपये (1,10,500) का बनाने का मामला सामने आया है.
कई जगह हुआ खेल
जानकारी के अनुसार, संदेह होने पर छानबीन कराई गई तो फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ. इसका खुलासा होते ही पिछले छह माह के स्टांप की जांच कराई गई तो यह खेल कई जगह मिला. राजस्व से जुड़े मामले को सर्वोच्च प्राथमिकता पर लेते हुए पूरे प्रदेश की लगभग 1.25 लाख रजिस्ट्री की जांच एसआईटी से कराई जा रही है. साथ ही जांच एसटीएफ को सौंपने की तैयारी है, जिससे कि प्रदेश व्यापी नेटवर्क का भंडाफोड़ हो सके.
मामले की गंभीरता को देखते हुए पूरे प्रदेश में करीब 1.25 लाख रजिस्ट्री की जांच एसआईटी से कराई जा रही है. पूरे नेटवर्क का खुलासा करने के लिए जांच स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) से कराए जाने की तैयारी है. इस तरह की जालसाजी रोकने के लिए विभाग ने तत्काल प्रभाव से अत्याधुनिक जांच सिस्टम भी लागू कर दिया है. इसमें प्रत्येक स्टांप की जांच क्यूआर कोड से करना अनिवार्य कर दिया गया है.
दरअसल, गाजियाबाद की एक प्रापर्टी की रजिस्ट्री में एक लाख दस हजार पांच सौ रुपये का ई-स्टांप लगाया गया. संदेह होने पर विभाग ने इसकी जांच की तो स्टांप की हैसियत महज 10 रुपये निकली. आगरा निवासी मो. जाहिद ने यह फर्जीवाड़ा किया. इसके लिए उसने पहले स्टांप की स्कैनिंग की. स्टांप में रकम तीन जगह लिखी होती है. उन्हें पूरी तरह एडिट कर एक लाख दस हजार 500 रुपये किए. इसके बाद फिर चार बार स्टांप का करेक्शन किया गया और हू-ब-हू असली जैसा बनाकर रजिस्ट्री में इस्तेमाल कर लिया गया.