Column By- Ashish Tiwari , Resident Editor

‘एक बीजेपी ऐसी भी..’

राजनीति में शुचिता और अनुशासन की दुहाई देने वाली इकलौती पार्टी है बीजेपी. कोई दो राय नहीं कि संगठन के डंडे से सही एक ‘हद’ तक अनुशासित दिखते रहने का हुनर नेताओं ने अपनी पाठशाला में ठीक ठाक सीखा है. मगर इस ‘हद’ की दूसरी तरफ की तस्वीर पूरी बदल जाती है. उदाहरण से समझिए. कुछ साल पहले बीजेपी का गमछा डालकर पार्टी में शामिल हुए एक नेता की आसमानी उड़ान कुछ अव्वल पंक्ति के नेताओं के गले नहीं उतरी. उतरनी भी नहीं थी. अब आज शामिल हुए नेता, कल के नेताओं को घुड़की देने की हैसियत हासिल कर ले, तब चिंगारी उठनी लाजमी है. हुआ भी यही. नेता को इस दफे फिर टिकट मिल गई. टिकट मिली, तो ख्वाहिशों का आसमान सजने लग गया. ख्वाहिशों ने ऊंचाई पकड़ी ही थी कि अव्वल पंक्ति के नेताओं को खबर लग गई. नेताओं ने आईना देखा. सिर के बाल देखे और सोचा कि पार्टी में वे तब से हैं, जब सिर के बाल घने और काले थे. अब बाल झड़ गए हैं. बचे काले बाल सफेदी की आड़ में अपने होने की गवाही दे रहे हैं. काले से सफेद होने तक का यह सफर ही उनका अनुभव है. अनुभव संघर्षों के रास्ते आया है. कुल जमा चार-पांच साल की राजनीति के आगे लंबा अनुभव हाशिये पर जाता दिखा. सो ‘राजनीति’ की बड़ी चाल चली गई. कानाफूसी में सुना गया है कि प्रभावी नेताओं की उस टोली ने आसमानी ख्यालों में खोए नेता की रफ्तार पर लगाम कसने पार्टी की एक महिला कार्यकर्ता को चुनाव में उतारने की रणनीति बनाई है. महिला जिस जाति से आती हैं, उस जाति का अपना प्रभाव है. गणित यही है कि इससे नतीजों पर असर पड़े. मालूम पड़ा है कि महिला कार्यकर्ता को शुरुआती खर्चे के लिए एक करोड़ रुपये भेज दिए गए हैं. पहले से ही कई समीकरण में उलझे नेता को इस बात की भनक तक नहीं. नेताजी भगवा गमछा डाल ‘जय जय श्री राम’ का नारा लगाने में रमे हैं. 

‘सिग्नेचर होम्स’

लगता है सत्ता के इर्द-गिर्द रहने वालों ने अपना एक कुनबा बना लिया है. नाम रखा है ‘सिग्नेचर होम्स’ सिग्नेचर को हिन्दी में हस्ताक्षर कहते हैं. अपनी-अपनी विधा के हस्ताक्षर लोगों से भरा ठिया है ‘सिग्नेचर होम्स’. अब चुनावी बिसात बिछी है, तो पहले जिक्र इससे जुड़ी शख्सियतों का. इस चुनाव में इस रिहायशी सोसाइटी ने एक दिलचस्प तस्वीर दिखाई है. बीजेपी के दो प्रत्याशियों का यहां डेरा है. एक छत्तीसगढ़ फिल्मों के सितारे अनुज शर्मा और दूसरी भावना बोहरा. अनुज धरसींवा से और भावना पंडरिया से चुनाव लड़ रही हैं. भावना के चुनाव संचालक बनाए गए बीजेपी नेता योगी अग्रवाल भी यहीं के बाशिंदे हैं. बीजेपी में पर्दे के पीछे रहकर रणनीति बनाने वाली टीम के प्रमुख चेहरे उज्जवल दीपक का ठिकाना भी यही है. ऐसा नहीं है बीजेपी से जुड़े लोगों ने सिग्नेचर होम्स को कब्जा लिया हो. मनेंद्रगढ़ विधायक विनय जायसवाल का ठिया भी इसी सोसाइटी में है. यह बात और है कि कांग्रेस ने विनय की टिकट काट दी है. मगर हल्ला जोर का है कि विनय किसी दूसरी पार्टी की ओर नजर ताकते खड़े हैं. टिकट मिली तो कूद पड़ेंगे चुनावी मैदान में. कोरबा सीट से आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी बनाए गए विशाल केलकर का घरौंदा भी यही है. राजनीतिक चेहरों से परे सिग्नेचर होम्स प्रशासनिक गलियारों के लोगों से भी भरा पड़ा है. एक पूर्व आईपीएस के यहां चार प्लाट थे. एक मामले में घिरे, तो सब बेच बाचकर एक महानगर में जा बसे. एक और पूर्व आईपीएस का यहां बेनामी फ्लैट था. आय से अधिक संपत्ति का आरोप लगा. बेचने में ही भलाई समझी, फिलहाल सर्विस से बाहर हैं. मालूम चला है कि ज्वाइंट कलेक्टर रैंक के दो अफसरों का घर यहां सज रहा है. कुछ और हैं, जो सत्ता की धुरी के बेहद करीब हैं. 

‘सिर फुटव्वल’

कांग्रेस-बीजेपी में टिकट पर सिर फुटव्वल मच गया. बगावत पूरे शबाब पर है. कुछ सीटों पर मान मनौव्वल बेअसर रहा. अंतागढ़ से कांग्रेस विधायक अनूप नाग ने निर्दलीय नामांकन भर दिया. नवागढ़ से गुरुदयाल बंजारे और मनेंद्रनगढ़ से विनय जायसवाल के तेवर में तेज है. विनय का तो एक आडियो वायरल हो चला है, जिसमें गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से उम्मीदवारी का जिक्र करते सुने गए हैं. रायपुर दक्षिण से दावेदार रहे कन्हैया अग्रवाल ने नामांकन पत्र खरीद लिया है. जैजैपुर में दावेदार रहे टेकचंद ने भी निर्दलीय लड़ने का ऐलान किया है. चित्रकोट सीट कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने पकड़ी, तो विधायक राजमन बेंजाम ने नाक फुला लिया. कुछ और हैं, जो बगावती तेवर में तो हैं, मगर नेताओं की सुनकर शांत बैठे हैं. पिछले चुनाव में ले देकर 14 सीट पाने वाली बीजेपी में भी विरोध कम नहीं है. आरंग सीट से वेदराम मनहर निर्दलीय लड़ने की तैयारी में है. जगदलपुर से किरणदेव को टिकट मिली, तो संतोष बाफना ने दो टूक कह दिया कि काम नहीं करूंगा. रायपुर उत्तर सीट पुरंदर मिश्रा को मिली, तो संजय श्रीवास्तव, श्रीचंद सुंदरानी, केदार गुप्ता के माथे पर बल पड़ गया. पार्टी के कामकाज में लग गए हैं, लेकिन सीने में जो ज्वालामुखी फट पड़ा है, उसका लावा रह रहकर धधक रहा है. दंतेवाड़ा में चैतराम अटामी को टिकट देकर बीजेपी फंस गई है. ओजस्वी मंडावी और नंदलाल मुड़ामी का असंतोष किसी से छिपा नहीं. खैर, बीजेपी विपक्ष में है, खोने के लिए बहुत ज्यादा कुछ नहीं है. ले देकर 14 विधायक ही हाथ लगे थे. कांग्रेस को विरोधियों को संभालना होगा, वर्ना कई सीटों पर बंटाधार तय है.

‘ढूंढे नहीं मिल रहे प्रत्याशी’

कांग्रेस-बीजेपी में टिकट को लेकर हल्ला मचा है, तो इधर आम आदमी पार्टी को लेकर खबर है कि चुनाव लड़ने के लिए कई सीटों पर प्रत्याशी ढूंढे नहीं मिल रहे. अरविंद केजरीवाल- भगवंत सिंह मान जैसे दो-दो राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने रायपुर, बिलासपुर और जगदलपुर में सभा कर खूब माहौल बनाया. पार्टी ने अच्छी खासी भीड़ जुटाकर चुनावी माहौल गर्माने में कोई कसर नहीं छोड़ी. कई सीटों पर ठीक ठाक प्रत्याशी भी उतारे, मगर 90 सीटों पर लड़ने की पार्टी की मंशा पूरी होते नहीं दिख रही. हालांकि यह सुनने में आया है कि कांग्रेस-बीजेपी में जिन बड़े नेताओं की टिकट कटी है, आम आदमी पार्टी उन्हें साधने की कोशिश कर रही है. दूसरे चरण के मतदान के लिए नामांकन भरने की अधिसूचना जारी हो गई है. 30 तारीख तक का वक्त है. नामांकन की आखिरी तारीख आते-आते कांग्रेस-बीजेपी का कोई चेहरा आम आदमी पार्टी के साथ खड़ा दिख जाए, तो चौंकिएगा नहीं. दरअसल राजनीति यही है. नैतिकता और सिद्धांतों के परे. राजनीति में अब आइडियोलॉजी की बातें हवा हवाई हो गई है. नेता को चाहिए कुर्सी और कुर्सी को आडियोयोलाॅजी से भला क्या लेना देना…. 

‘सटोरियों का एग्जिट पोल’

छत्तीसगढ़ को लेकर सटोरियों का एग्जिट पोल आ गया है. सटोरियों का एग्जिट पोल बता रहा है कि राज्य में फिर से कांग्रेस बहुमत के साथ लौटेगी. सट्टा बाजार का अनुमान है कि राज्य में कांग्रेस 53 से 55 सीटों के साथ सरकार बना सकती है. बीजेपी को 30 से 35 सीटों के बीच संतोष करना पड़ सकता है. साल 2018 के चुनाव में सट्टा बाजार ने छत्तीसगढ़ की 90 सीटों में कांग्रेस को 44 से 46 और बीजेपी को 40 से 42 सीटों पर जीत दर्ज करने का अनुमान बताया था. छत्तीसगढ़ के अलावा सटोरियों के एग्जिट पोल में मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस को बढ़त मिलता दिखाया गया है. सट्टा बाजार का अनुमान है कि मध्यप्रदेश में 120 सीटों के साथ कांग्रेस की सरकार बन रही है. बीजेपी को 101 से 104 सीटों तक संतोष करना पड़ सकता है. राजस्थान को लेकर सट्टा बाजार का अनुमान चौंकाने वाला है. बाजार कह रहा है कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के मुकाबले राजस्थान में कांग्रेस कमजोर होती जा रही है. सटोरियों के एग्जिट पोल में राजस्थान में बीजेपी 114 से 116 सीटों की बढ़त बना रही है, जबकि कांग्रेस 68 से 70 सीटों पर जीत दर्ज कर सकती है. अब सट्टा बाजार है. जो अनुमानों पर चलता है. जरूरी नहीं कि अनुमान सही साबित हो. 3 दिसंबर की तारीख बता ही देगी सियासी जमीन पर किस पार्टी ने कितना खाद डाला है. वैसे भी सियासत में दावों की अपनी जगह है, नतीजों की अपनी….

‘चुनावी चुटकुला’

राजनीति पर ज्ञान देने वाले पांच महान विश्वविद्यालय :

1. पान की दुकान

2. नाई की दुकान

3. दारू पिया हुआ आदमी

4. ट्रेन का डब्बा

5. व्हाट्सएप

Lalluram.Com के व्हाट्सएप चैनल को Like करना न भूलें.

https://whatsapp.com/channel/0029Va9ikmL6RGJ8hkYEFC2H

छतीसगढ़ की खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक 
English में खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें