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नई दिल्ली। कनाडा के खिलाफ अपना रुख सख्त करते हुए भारत आतंकी फंडिंग अभियानों के खिलाफ ओटावा की निष्क्रियता पर वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) के पास ले जाने का विकल्प तलाश रहा है. नई दिल्ली ने इस संबंध में कई बार “विश्वसनीय और पुख्ता” सबूत साझा किए हैं. लेकिन इसके बाद भी कार्रवाई नहीं किए जाने पर भारत पेरिस स्थित वॉचडॉग के साथ “पुराने और नए सबूतों का एक डोजियर” साझा करने की योजना बना रहा है.
अखबार ‘द संडे गार्जियन’ में छपी खबर के अनुसार, एक सूत्र ने बताया कि कनाडा द्वारा अपनी राजनयिक ताकत को 41 तक करने की भारत की मांग को स्वीकार करना पर्याप्त नहीं है, क्योंकि भारत की मुख्य चिंता कनाडा की धरती पर खालिस्तानियों की फंडिंग और बचाव को लेकर है.
विदेश मंत्रालय (एमईए) के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने अपने हालिया बयान में नई दिल्ली और ओटावा के बीच संबंधों में भारत की प्रमुख चिंता और प्राथमिकता को उजागर करते हुए कहा था कि राजनयिकों, सुरक्षा और जांच एजेंसी अधिकारियों से कहा गया है कि एफएटीएफ के साथ साझा करने के लिए प्रासंगिक साक्ष्य एकत्र करें. कनाडा के साथ भारत के संबंधों में मुख्य मुद्दा आतंकवादियों और आपराधिक तत्वों का सुरक्षित पनाहगार होना है.
भारत सरकार की कवायद से अवगत शख्स ने बताया कि कनाडा अपनी धरती पर खुलेआम चल रहे खालिस्तानी तत्वों के मुख्य मुद्दे से ध्यान हटाने की कोशिश कर रहा है, भारत के पास अपने देश में खालिस्तान समर्थक तत्वों के खिलाफ प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की निष्क्रियता के बारे में एफएटीएफ को रिपोर्ट करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है. इसलिए, भारत कनाडा से होने वाले आतंकी फंडिंग और वित्तपोषण के सबूत इकट्ठा करने और इसे एफएटीएफ के सामने पेश करने की योजना बना रहा है.
ट्रूडो सरकार भारत पर तनाव बढ़ाने और कनाडाई राजनयिक उपस्थिति के संबंध में वियना कन्वेंशन का उल्लंघन करने का आरोप लगाकर वैश्विक समुदाय का ध्यान आतंकी गतिविधियों के मूल मुद्दे से हटाने की कोशिश कर रही है. लेकिन भारत ने अपनी स्थिति जोरदार तरीके से समझाते हुए कनाडा के आरोपों को तुरंत खारिज कर दिया. साथ ही, भारत सरकार ने यह सुनिश्चित करने का निर्णय लिया कि कनाडाई धरती पर आतंकी फंडिंग का मुख्य मुद्दा पृष्ठभूमि में न चला जाए.