सुशील सलाम,कांकेर. जिले के कोयलीबेड़ा विकास खण्ड अंतर्गत नक्सल प्रभावित क्षेत्र एक ऐसा स्कूल जहां बच्चों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. जहां पर जर्जर स्कूल भवन होने के चलते स्कूली छात्र-छात्राओं को टपकते पानी में छाता पकड़ बैठकर पढ़ाई करना पड़ रहा है.
पखांजूर मुख्यालय से कुछ ही दूरी पर स्थित प्राथमिक शाला एवं माध्यमिक शाला ग्राम पंचायत जबेली के आश्रित गांव चिहरीपारा में लगभग 30 बच्चे पढ़ाई करते हैं, स्कूल भवन की स्थिति ऐसी है कि बरसात में बच्चे खड़े-खड़े छाता के सहारे पढ़ाई करते हैं. स्कूल छत से पानी टपकता है. जिसके चलते परिसर में पानी भर जाता है. जिससे स्कूली छात्र छात्राओं और शिक्षकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. स्कूल तक पहुंचने के लिए भी स्कूली छात्र छात्राओं को खेत के मेढ़ में चल कर स्कूल पढ़ाई करने पहुंचना पड़ता है.
स्कूल भवन वर्ष 2009 में बना था और उसी साल छत से पानी टपकना शुरू हो गया था. जिसका खामियाजा इस स्कूल में पढ़ने वाले छोटे छोटे बच्चों को उठाना पढ़ता है. वहीं आधा अधूरा निर्माण कर शौचालय को छोड़ दिया गया. बच्चे शौच के लिए जंगल का सहारा लेना होता है ऐसे में देखा जाये तो स्कूल की व्यवस्था सुविधा जैसे कुछ भी नहीं जिससे स्कूल के बच्चे के साथ साथ शिक्षकों को भी काफी परेशानी का सामना कर रहा हैं.
सपन मंडल प्रधान अध्यापिका चिहरी पारा का कहना है कि माध्यमिक शाला में 15 बच्चे, प्राथमिक शाला में 16 बच्चे पढ़ते हैं. भवन से पानी टपकने से भारी परेशानी होती है, स्कूल के अंदर पानी भर जाता है जिससे बच्चे बैठ नहीं पाते हैं,छाता लेकर खड़े खड़े करवाते हैं पढ़ाई, कई बार उच्च अधिकारी को शिकायत किया गया पर आज तक किसी ने सुध नहीं ली.
साथ ही शिक्षिका चपला बैरागी ने बताया कि हर साल बरसात में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. स्कूल के अंदर पानी भराव के चलते खड़े खड़े छाता के सहारे पड़ते हैं. कई बार उच्च अधिकारी को जानकारी दिया गया मगर अब तक ठीक नही करवाया गया है.
पूरे मामले में टीआर साहू जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा कि कोयलीबेड़ा बीईओ को उस स्कूल का जांच करता हूं और जहां जर्जर है और पानी टपक रहा है उसकी तुरंत मरम्मत करवाया जाएगा.