हेमंत शर्मा, इंदौर। देश भर में आज विजयादशमी का पर्व मनाया जा रहा है। इसी बीच इंदौर का एक परिवार ऐसा भी है जो रावण के दहन की जगह रावण की पूजा करता है। इसके साथ ही मंदिर की स्थापना की तारीख भी अनोखी है। यह 2010, सुबह 10:10 मिनट और 10 तारीख है। तब से ही हर दिन मंदिर इसी समय खुलता है। वहीं मंदिर के पुजारी ने भी अपने बेटों का नाम भी रावण के बेटों पर रखा है।
मंदिर के मुख्य पुजारी महेश गौहर का कहना है कि साल 1966 में वे मां की बारात में मंदसौर गए थे। मंदसौर में एक विवाह की रस्म के दौरान रावण की पूजा दूल्हा दुल्हन ने की थी। तब से ही उनके मन में रावण पर रिसर्च करने की जिज्ञासा उत्पन्न हुई और रिसर्च के दौरान पाया कि रावण प्रखंड पंडित होने के साथ ही भगवान शिव का अवतार है। ऐसे में रावण का दहन करने के बजाय उसकी पूजा करना चाहिए।
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उसके बाद 1959 से गौहर परिवार रावण की पूजा करने लगा। अब परिवार में 30 लोग दशहरे पर रावण की पूजन कर हवन करते हैं। इसके साथ ही मंदिर के मुख्य पुजारी और परिवार के मुखिया महेश गौहर ने अपने बच्चों के नाम भी रावण के पुत्र के नाम लंकेश, मेघनाथ और चंद्रघंटा (शूर्पणखा) पर रखे है।
महेश गौहर का दावा है कि रावण के मंदिर में मध्य प्रदेश, यूपी, राजस्थान, बिहार और अन्य प्रदेशों से लोग दर्शन करने आते हैं। वहीं विशेष पूजा और तांत्रिक क्रिया के दौरान मंदिर में भक्तों को प्रवेश की इजाजत नहीं होती। गौहर परिवार के मुखिया महेश गौहर खुद पूजा कर समूचे कर्मकांड को अंजाम देते हैं।
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