नितिन नामदेव, रायपुर. राजधानी रायपुर का एक ऐसा मंदिर, जो साल में एक बार खुलता है. आज शस्त्र पूजा के उपलक्ष्य में इस मंदिर को खोला जाता है, इस मंदिर को कंकाली मठ के नाम से जाना जाता है. यहां दशमी के दिन सुबह 6 बजे से रात्रि 12 बजे तक लगातार पूजा होती है. सुबह से ही भक्तों की लंबी कतार इस मंदिर में लगी हुई है.

आमतौर पर मंदिरों में रोज पूजा-अर्चना और आरती होती है. दशकों से मान्यता भी है कि मंदिरों में प्रतिदिन पूजा होनी चाहिए.
रायपुर में आदिशक्ति के एक रूप ‘कंकाली माता’ का एक ऐसा मंदिर है, जहां आज केवल यानि दशमी के दिन एक दिन ही देवी की पूजा होती है. यह अनूठी परंपरा सदियों से चली आ रही है. यह मंदिर कंकाली मठ नाम से प्रसिद्ध है.

बताया जाता है कि वर्षों पहले इस मंदिर की देखरेख का जिम्मा नागा साधुओं के पास हुआ करता था. 1980 में नागा साधुओं ने इस मंदिर को मंहत शंकर गिरी के हवाले कर दी. इसके बाद कंकाली मठ के महंत शंकर गिरी ने इसी मंदिर के प्रांगण में जीवित समाधि ले ली थी. मंदिर के पुजारी अभिजीत गिरि ने बताया कि आज सहस्त्र पूजा के दिन इस मंदिर के पठ खुलते हैं.
सुबह 6 बजे से रात 12 बजे तक इस मंदिर में लगातार पूजा होती है. बड़ी संख्या में भक्त आज मंदिर पहुंचते हैं.

पंडित अभिजीत ने बताया, आज के दिन कंकाली माता प्रकट होकर अपने भक्तों को आशीर्वाद देती है. प्रसाद के रूप में यहां सोने की पत्ती और पूजा की सामग्री लेकर पूजा अर्चना कर प्रसाद भी चढ़ाते हैं. रात 12 बजे मंदिर के पठ लगभग 1 साल के लिए बंद कर दिए जाते हैं. उसके बाद ठीक 1 साल बाद विजयदशमी के दिन इस मंदिर को खोला जाता है.