मिर्जापुर. रीवा-मिर्जापुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित ड्रमंडगंज बाजार में विजयदशमी पर रावण के पुतले का दहन नहीं किया जाता है, बल्कि उसका सिर कलम किया जाता है. इस अनूठी परंपरा वाले विजयादशमी मेले में जिले के अलावा मध्य प्रदेश से भी काफी संख्या में लोग शामिल होने आते हैं.
जानकारी के अनुसार, जिला मुख्यालय से करीब 65 किलोमीटर दूर स्थित ड्रमंडगंज बाजार का विजयदशमी मेला काफी प्रसिद्ध है. विजयदशमी पर रावण के दस शीश वाले लोहे के विशालकाय पुतले को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं. लगभग 20 फीट ऊंचे पुतले को जब ड्रमंडगंज बाजार के मुख्य मार्ग से ले जाया जाता है तो उसे देखने के लिए सड़क पर भीड़ उमड़ पड़ती है। तीन घंटे के लिए सड़क पर आवागमन रोक दिया जाता है.
दशहरा मैदान में शाम को राम-रावण के बीच युद्ध होता है. जब रावण का वध करने के लिए भगवान श्रीराम बाण चलाते हैं तो रावण का सिर कटकर लटक जाता है. उस दौरान जय श्रीराम के गगनभेदी जयकारों से पूरा बाजार गूंज उठता है. इस बार भी मंगलवार को आयोजित होने वाले विजयदशमी मेला में आदर्श श्री रामलीला कमेटी की तरफ से रावण का पुतला जलाने की बजाय उसका सिर कलम किया जाएगा.
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पर्व के बाद लोहे के बने दशानन के पुतले को अगले वर्ष के लिए कमेटी के सदस्य सुरक्षित रख लेते हैं. ड्रमंडगंज रामलीला कमेटी के लोगों का कहना है कि यह कोई नई परंपरा नहीं है. यह परंपरा सौ से अधिक वर्षों से चली आ रही है. प्रारंभ में लोहे से तैयार रावण के पुतले का निर्माण छटंकी मिस्त्री ने किया था. बाद में दुल्लीचंद मिस्त्री ने उस पुराने पुतले की मरम्मत करके दस शीश का बना दिया.