लखनऊ. राजनीतिक हल्कों में बीते तीन महीने से मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चर्चा चल रही है. सावन के बाद शारदीय नवरात्रि में फिर मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर बात चली. लेकिन अब विजयदशमी बीत गई है लेकिन सरकार व संगठन के स्तर पर मंत्रिमंडल विस्तार की कोई सुगबुगाहट तक नहीं है.

राजनीतिक हल्कों में बीते तीन महीने से मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चर्चा चल रही है. सावन के बाद शारदीय नवरात्रि में फिर मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर बात चली. लेकिन अब विजयदशमी बीत गई है लेकिन सरकार व संगठन के स्तर पर मंत्रिमंडल विस्तार की कोई सुगबुगाहट तक नहीं है.

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सत्ता के गलियारों में चर्चा है कि मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर लखनऊ से दिल्ली तक दो तरह की राय है. एक राय है कि योगी सरकार के जिन मंत्रियों को लोकसभा चुनाव लड़ाया जाना है उन्हें अभी से मंत्री पद से मुक्त कर चुनाव की तैयारी में लगा दिया जाए.

मामला लटकने का अंदेशा

दूसरी राय है कि फिलहाल सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर, मऊ से चुनाव हारे दारा सिंह चौहान सहित कुछ अन्य चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया जाए. उसके बाद दूसरा विस्तार लोकसभा चुनाव के बाद कर लिया जाए.
जानकारों का मानना है कि मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर एक राय नहीं बनने के कारण फिलहाल मामला अटका हुआ है. चर्चा है कि यदि जातीय समीकरण साधने के लिए अत्यंत आवश्यक हुआ तो ही लोकसभा चुनाव से पहले मंत्रिमंडल विस्तार होगा.

अन्यथा लोकसभा चुनाव में सहयोगी दलों और मंत्री पद के दावेदारों का आधार नापने के बाद ही मंत्रिमंडल विस्तार होगा.
योगी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार की आस में विजयदशमी भी बीत गई है. लेकिन राजतिलक नहीं होने से कई दिग्गज नेता और दावेदार निराश हैं. वहीं राजनीतिक हल्कों में चर्चा है कि मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर एक राय नहीं बनने से मामला अब लंबा अटक सकता है.