रायपुर। अगर हम अपने आसपास देखें तो हमें ऐसे कई उदाहरण मिल जाएंगे, जिसमें लोगों ने अपनी ढलती उम्र में भी अपना काम शुरू कर उसमें सफलता पाई है. ऐसी ही कहानी है सोनालिका ट्रैक्टर्स के संस्थापक लक्ष्मण दास मित्तल की. फोर्ब्स के अरबपतियों की सूची अपनी जगह बनाने वाले सोनालिका ट्रैक्टर्स के चेयरमैन लक्ष्मण दास मित्तल ने 1955 में अपना करियर एलआईसी में बीमा एजेंट के तौर पर शुरू किया था. फिर फील्ड अफसर बने और विभिन्न राज्यों में नौकरी की. नौकरी के दौरान ही 1966 में उन्होंने बिजनेस में कदम रखा. एग्रीकल्चर मशीनें बनानी शुरू की. साथ-साथ नौकरी भी चलती रही. 1990 में बतौर डिप्टी जोनल मैनेजर रिटायर हुए. 1994 में ट्रैक्टर्स की मैन्यूफेक्चरिंग शुरू की. आज सोनालिका का कारोबार भारत के अलावा 74 देशों में फैला हुआ है और इनकी नेटवर्थ 23 करोड़ से ज्यादा की हो गई है. आज सोनालिका भारत का तीसरा सबसे बड़ा ट्रेक्टर ब्रांड बन चुका है और सालभर में 3 लाख से ज्यादा ट्रैक्टर्स बनते हैं.

पहले एक बिजनेस में हुए थे दिवालिया

अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद 1955 में लक्ष्मण दास ने एलआईसी एजेंट के रूप में अपने करियर की शुरुआत की. वे शुरू से ही अपना बिज़नेस करना चाहते थे, लेकिन इसके लिए पैसों की ज़रूरत थी. इसीलिए वे एलआईसी में काम करते हुए अपनी सैलरी में से बचत करने लगे. उसी बचत से उन्होंने 1962 में नौकरी करते हुए थ्रेशर मशीन बनाने का काम शुरू किया, लेकिन इसमें वो सफल नहीं हो सके.

लक्ष्मण दास मित्तल की कितनी है संपत्ति?

सोनालिका ट्रैक्टर्स का पंजाब के होशियारपुर में एक बड़ा मैन्युफैक्चरिंग यूनिट है. सोनालिका ग्रुप के 5 अलग-अलग देशों में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट हैं और कंपनी का व्यवसाय संचालन 120 से अधिक देशों में फैला हुआ है. मित्तल अभी भी अपने कारोबार में सक्रिय हैं, लेकिन उनके बेटे अमृत सागर मित्तल और दीपक मित्तल मुख्य रूप से कंपनी को चलाते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मित्तल की अनुमानित संपत्ति 21,644 करोड़ रुपए से भी अधिक है.

लक्ष्मणदास मित्तल का जन्म 5 नवंबर 1930 को मोगा के गांव भिंडरकला में हुआ. पिता हुकुम चंद अग्रवाल मंडी में आढ़ती थे. मोगा के डीएम कॉलेज से ग्रेजुएशन की. पंजाब यूनिवर्सिटी से कारेस्पोंडेंस अंग्रेजी व उर्दु में मास्टर डिग्री. एमए अंग्रेजी में गोल्ड मेडलिस्ट. फिर शुरू हुई नौकरी से लेकर बिजनेस में सफलता की कहानी. एलआईसी से रिटायरमेंट के बाद 60 वर्ष में उन्होंने खुद का कारोबार शुरू किया और 1996 में सोनालिका ट्रैक्टर्स की स्थापना की, जो आज देश की तीसरी सबसे बड़ी ट्रैक्टर निर्माता कंपनी है.