नई दिल्ली-  भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देने वाले ओम प्रकाश चौधरी ने बीजेपी की सदस्यता ले ली है.  दीनदयाल उपाध्याय मार्ग स्थित पार्टी मुख्यालय में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह ने चौधरी को विधिवत रूप से पार्टी की सदस्यता दिलाई.

ओम प्रकाश चौधरी ने अपने फेसबुक पर तस्वीर साझा करते हुए बीजेपी की सदस्यता लिए जाने की सार्वजनिक सूचना प्रेषित की है. उन्होंने अपने फेसबुक वाल पर लिखा है कि-

कर्तव्य पथ पर जो भी मिला,
यह भी सही, वह भी सही..
वरदान नहीं मागूँगा,
हो कुछ, पर हार नहीं मानूँगा…

अटल जी के इन शब्दों को दिल में रखते हुए, मैंने माननीय श्री अमित शाह जी और माननीय डॉ रमन सिंह जी की उपस्थिति में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की.

खरसिया सीट से हो सकते हैं बीजेपी के उम्मीदवार

ओमप्रकाश चौधरी के बीजेपी प्रवेश के बाद अटकलों का बाजार गर्म हैं कि चौधरी की चुनावी राजनीति का सफर कहां से शुरू होगा? ओपी खरसिया के करीब बायंग गांव के निवासी हैं. वहां न केवल उनका बचपन बीता है, बल्कि पढ़ाई-लिखाई भी इसी गांव से हुई है.  चौधरी जिस पटेल बिरादरी से आते हैं, यह उसका प्रभुत्व वाला इलाका माना जाता है. ऐसे में संभावनाएं इस बात को लेकर प्रबल है कि ओमप्रकाश चौधरी खरसिया में बीजेपी के चेहरे हो सकते हैं. इस सीट पर कांग्रेस का वर्चस्व रहा है. नंदकुमार पटेल इस सीट से चुनाव जीतते रहे हैं. झीरम घाटी की घटना में उनके निधन के बाद उनके बेटे उमेश पटेल ने कांग्रेस की टिकट से यहां से चुनाव जीता था. ऐसे में कांग्रेस के इस मजबूत किले को ढहाने के लिए बीजेपी के पास ओमप्रकाश चौधरी से मजबूत चेहरा फिलहाल नहीं है.

मंत्रालय में नहीं बंधना चाहता था- ओमप्रकाश चौधरी

बीजेपी की सदस्यता लेने के कुछ वक्त पहले ही ओमप्रकाश चौधरी ने अपने फेसबुक वाॅल पर अपना एक वीडियो साझा करते हुए कहा था कि- उन्होने काफी सोच समझकर राजनीति में आने का फैसला किया है. चौधरी ने अपने इस वीडियो में कहा कि 8 सालकी उम्र में पिता के गुजर गए थे. मां ने तीन बच्चों को स्कूल भेजकर पढ़ाया. जिस स्कूल में पढ़ाई की वह खपरैल का था. पानी टपकता था. उस छत के नीचे पढ़ते हुए उन्होंने अपने क्षेत्र के लोगों के लिए कई बड़े सपने देखे थे. आईएएस बनने के बाद उनमें से कुछ सपने पूरे भी हुए. जो भी संभव हुआ वह किया. कलेक्टर की जिम्मेदारी पूरी होने के बाद मंत्रालय की नौकरी शुरू होने वाली थी. ऐसे में अपने क्षेत्र के लिए जो सपना देखा था, उसे पूरा करने में बंधन सा महसूस हो रहा था. लोकतांत्रिक व्यवस्था में चाहे जितनी भी बुराई की जाए लेकिन उसके प्रभाव को स्वीकार करना ही होगा. अगर आप मेरे नजरिए से देखेगें तो राजनीति चुनौती के साथ-साथ एक अवसर भी है. समाज के निचले पायदान में रहने वाले गरीबों के सपनों को साकार किया जा सकता है. मैं अब सीधे आप लोगों से जुड़कर आपके द्वारा दिए गए प्यार और विश्वास को एक नया आयाम देना चाहता हूं. मेरे इस निर्णय़ के केंद्र में आप सब ही हैं. मुझे उम्मीद है कि मुझ पर आप सबका प्यार और विश्वास पहले की तरह ही बना रहेगा.