1945 में भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) और पृथ्वी थिएटर से जुड़ी और अपनी आख़िरी साँस तक रंगमंच को जीने वाली ज़ोहरा आपा यानी ज़ोहरा सहगल ने आज ही के दिन 10 जुलाई 2014 को 102 वर्ष की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया. ज़ोहरा आपा ने पृथ्वी थिएटर व इप्टा के नाट्य दल के साथ देश भर में कई नाट्य प्रस्तुतियाँ कीं. उन्होंने इप्टा द्वारा निर्मित फ़िल्म ‘धरती के लाल’ व ‘नीचा नगर’ में भी अभिनय किया. वे न केवल अभिनेता थीं बल्कि प्रशिक्षित नृत्यांगना व नृत्य निर्देशक भी थीं. उन्होंने राज कपूर की ‘आवारा’ और गुरु दत्त की ‘बाज़ी’ सहित कई फ़िल्मों में नृत्य निर्देशन किया था.
हिंदुस्तान, पाकिस्तान और लन्दन में कई रंगमचीय प्रस्तुतियों के साथ ही उन्होंने कई उल्लेखनीय हिंदी व अंग्रेजी फ़िल्मों में काम किया, कई जन-पक्षधर कवियों/शायरों की रचनाओं की प्रस्तुतियाँ दीं, जिनमें फैज़ अहमद फैज़ और हफीज़ जालंधरी की नज्मों की प्रस्तुतियाँ ख़ासी चर्चित रहीं.
उन्होंने भले ही फ़िल्मों में अभिनय किया लेकिन प्राथमिकता में हमेशा रंगमच रहा. इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने जितनी फ़िल्मों में अभिनय किया उसकी तुलना में रंगमंचीय प्रस्तुतियों की संख्या कहीं ज्यादा है. पद्म श्री, पद्म विभूषण, कालिदास सम्मान, संगीत नाटक अकादमी फ़ेलोशिप से सम्मानित ज़ोहरा आपा 102 वर्ष की उम्र में भी ऊर्जावान थीं, वे आख़िरी वक़्त तक रंगमंच के लिए समर्पित रहीं.
-सौजन्य साहिल