नई दिल्ली . दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के स्तर में खतरनाक रूप से हो रही बढ़ोतरी के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कड़ी नाराजगी जताई. कोर्ट ने कहा, हम प्रदूषण के चलते लोगों को मरता हुआ नहीं छोड़ सकते. कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान को पराली जलाने पर तत्काल रोक लगाने का आदेश दिया.
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और सुधांशु धूलिया की पीठ प्रदूषण के मामले पर सुनवाई कर रही थी. न्यायमूर्ति कौल ने कहा, यह लोगों के स्वास्थ्य की हत्या है. हम यह नहीं कह रहे कि प्रदूषण की एकमात्र वजह पराली है, बल्कि यह भी एक मुख्य वजह है.
न्यायमूर्ति कौल ने पंजाब सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता गुरमिंदर सिंह से कहा कि राज्य पराली जलाने पर रोक को किस तरह लागू करते हैं, इससे हमें लेना-देना नहीं है, लेकिन यह सुनिश्चित हो कि पराली न जले. भले इसके लिए कभी जबरदस्ती कार्रवाई करनी पड़े या कभी प्रोत्साहन देना पड़े. कहीं भी पराली जली तो संबंधित थाना प्रभारी जिम्मेदार होंगे. पीठ ने चारों राज्यों को बैठक करने का भी निर्देश दिया.
अन्य फसलों पर एमएसपी दें कोर्ट ने कहा, धान पंजाब की मूल फसल नहीं है, ऐसे में अन्य वैकल्पिक फसलों पर ध्यान देना जरूरी है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि पराली जलाने की समस्या दोबारा न हो. कोर्ट ने कहा, किसान धान की बजाय अन्य फसलों की ओर तभी बढ़ेंगे जब न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) धान की बजाय अन्य फसलों को दिया जाए.
वायु गुणवत्ता में मामूली सुधार इस बीच, चार दिनों बाद राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 अंक से नीचे 395 रहा. हालांकि, यह अब भी बेहद खराब श्रेणी में है.
पराली निपटान के लिए कोष बनाया जाए आप
आम आदमी पार्टी (आप) ने मंगलवार को कहा कि केंद्र और हरियाणा सरकार को पराली निपटान के लिए एक कोष बनाना चाहिए. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता मलविंदर सिंह कांग ने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की इस मांग को केंद्र सरकार पहले खारिज कर चुकी है. हम दोबारा मांग करते हैं कि यह कोष बनाया जाए.
प्रदूषण नियंत्रण समिति के प्रमुख को समन
उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के प्रमुख अश्विनी कुमार को समन जारी किया है. अदालत ने उन्हें शुक्रवार को प्रदूषण से जुड़े रियल टाइम डाटा पेश करनेे का आदेश दिया.