Adani Wilmar Share: हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद अडानी पर निवेशकों का भरोसा कम हो रहा है. नतीजन शेयर बाजार में कंपनियां लाल निशान के करीब पहुंच रही हैं. जब हिंडनबर्ग रिपोर्ट आई तो निवेशकों को 150 अरब डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अडानी विल्मर कंपनी में हिस्सेदारी बेच रहे हैं, लेकिन अब खबरें आ रही हैं कि अडानी के हाथ से एक नहीं बल्कि कई कंपनियां निकल सकती हैं.

इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए और कंपनियों का चयन कर सकता है अडानी ग्रुप?

बताया जा रहा है कि अडानी ग्रुप इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस करना चाहता है, इसके लिए बड़े स्तर पर पूंजी की जरूरत है. विल्मर कंपनी में हिस्सेदारी बिक्री से 2.5 से 3 अरब डॉलर मिलने की संभावना है. इसलिए अगर अडानी को अडानी पोर्ट्स, गैस, पावर, थर्मल पावर के साथ-साथ हाइड्रोजन ग्रीन एनर्जी पर भी काम करना है तो ज्यादा पैसा जुटाना होगा.

पैसा जुटाने की कोशिश है (Adani Wilmar Share)

इस कारण अडाणी अपने समूह की कुछ अन्य कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी कम कर सकते हैं। या शायद इसे पूरी तरह से हटा दें. पिछले एक साल में अडानी ग्रुप के वैल्यूएशन में 57 फीसदी की गिरावट आई है. इसके अलावा कंपनी को एफडीआई के मामले में भी घाटा हो रहा है.

विदेशी निवेशकों ने 6 महीने में सबसे ज्यादा पैसा निकाला

मिंट की खबर के मुताबिक, पिछले 6 महीने के आंकड़ों की बात करें तो विदेशी निवेशक लगातार अपना पैसा निकाल रहे हैं. पैसे निकालने में 4 से 5 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है.

इसका मतलब यह है कि न सिर्फ घरेलू बाजार में बल्कि विदेशी बाजार में भी अडानी ग्रुप की साख को भारी झटका लगा है. इसलिए कंपनी को हर हाल में खुद पर भरोसा कायम करना होगा, ऐसी कंपनी में हिस्सेदारी बेचना समस्या का समाधान नहीं हो सकता.