नई दिल्ली . दिल्ली के लोगों को जल्द ही वायु प्रदूषण से राहत मिल सकती है. सबकुछ ठीक रहा तो दिल्ली सरकार 20-21 नवंबर के आसपास पहली बार कृत्रिम बारिश करवा सकती है.

कृत्रिम बारिश कराने को लेकर दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय, राजस्व मंत्री आतिशी व अन्य अधिकारियों ने बुधवार को आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों के साथ अहम बैठक की और उनसे गुरुवार को इसका विस्तृत प्लान देने के लिए कहा है. राय ने कहा कि 20-21 नवंबर के आसपास दिल्ली में कृत्रिम बारिश कराई जा सकती है. इस सबंध में दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट के सामने अपना प्लान रखेगी और इसमें केंद्र सरकार से सहयोग दिलाने का अनुरोध करेगी.

40 फीसदी बादल होने जरूरी राय ने कहा कि आईआईटी कानपुर का कहना है कि इसके लिए कम से कम 40 फीसदी बादल चाहिए. इससे कम बादल पर बारिश नहीं करा सकते हैं. बैठक में तय हुआ कि इस संबंध में आईआईटी कानपुर गुरुवार को एक विस्तृत प्रस्ताव दिल्ली सरकार को भेजे. आईआईटी कानपुर का अनुमान है कि दिल्ली में 20-21 नवंबर के आसपास बादल होने की संभावना है. इसी को ध्यान में रखते हुए हमने आईआईटी कानपुर को प्रस्ताव भेजने के लिए कहा है.

पर्यावरण मंत्री राय ने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि अगर 20-21 नवंबर को बादल दिख रहे हैं और इस दौरान सभी अनुमति मिल जाती है तो आईआईटी कानपुर पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर दिल्ली में कृत्रिम बारिश करा सकती है. इस वक्त मौसम की एक विपरीत स्थिति बनी हुई है. इसलिए हमारे पास विंटर एक्शन प्लान और ग्रैप के नियम जैसे जितने भी स्रोत हैं, उनके तहत काम किया जा रहा है.

पर्यावरण मंत्री ने कहा कि अभी वायु प्रदूषण का स्तर लगातार ठहराव में है. तापमान लगातार गिर रहा है और हवा की गति बहुत कम है. इसी के मद्देनजर दिल्ली सरकार सभी संभावनाओं पर विचार कर रही है. साथ ही मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने हमें जो सुझाव दिए उस पर भी हमने काम शुरु किया है. हमारा प्रयास है कि वायु प्रदूषण के असर को कम किया जा सके.

पूरी क्षमता से स्मॉग टावर काम करेगा

पर्यावरण मंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कनॉट प्लेस में स्मॉग टावर लगाया गया था, लेकिन डीपीसीसी चेयरमैन ने उसे अवैध तरीके से बंद कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने उसे दोबारा शुरू करने का निर्देश दिया है. गुरुवार से स्मॉग टावर पूरी क्षमता से काम शुरू कर देगा.

संयुक्त बैठक कर रास्ता निकाले केंद्र पर्यावरण मंत्री ने कहा कि प्रदूषण पूरे उत्तर भारत की समस्या है. उत्तर भारत के चारों राज्य और केन्द्र सरकार जब तक मिलकर संयुक्त कार्ययोजना बनाकर उसे कार्यान्वित नहीं करेंगे, तब तक प्रदूषण से निपटना असंभव है. उन्होंने बताया कि कचरा जलाने पर 611 टीमें नजर रखेंगी.