लखनऊ. सामाजिक न्याय की वकालत और सत्ता पक्ष के विरोध की मुखरता ने कांग्रेस के प्रति सियासी आकर्षण बढ़ा दिया है. यही वजह है कि सपा सहित विभिन्न दलों के नेता कांग्रेस की ओर कदम बढ़ा रहे हैं. हालत यह है कि मुलायम सिंह के अवसान के बाद सपा के कई दिग्गज नेताओं के परिवार की नई पीढ़ी कांग्रेस का हाथ थामने के लिए तैयार है. उसे कांग्रेस में अपना सियासी भविष्य दिखाई पड़ रहा है.
लोकसभा चुनाव की रणभेरी बजने से पहले उत्तर प्रदेश की सियासत में हलचल दिखाई दे रही है. विपक्षी दलों के एक के बाद एक नेता कांग्रेस का हाथ थाम रहे हैं. इसमें सर्वाधिक संख्या सपाइयों की है. पूर्व विधायकों में राकेश राठौर, इमरान मसूद, गयादीन अनुरागी, पशुपतिनाथ राय, पूर्व सांसद रवि प्रकाश वर्मा के अलावा ओमवीर, अहमद हमीद, छात्रनेता दिनेश यादव सहित तमाम लोगों ने माहभर के अंदर कांग्रेस की सदस्यता ली है.
यह सिलसिला निरंतर जारी है. कई नेता लगातार कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के संपर्क में हैं और दीपावली बाद उनका कांग्रेस का हाथ थामना तय है. राजनीतिक विश्लेषक इसकी अलग- अलग वजह बताते हैं. ज्यादातर का मानना है कि विपक्षी राजनीति में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की अपेक्षा राहुल- प्रियंका के प्रति आकर्षण बढ़ा है. वे नई सोच, नई दिशा और सामाजिक भागीदारी की वकालत करते हुए आगे बढ़ रहे हैं. किसानों के मुद्दे से लेकर महंगाई सहित भाजपा की अन्य नीतियों का खुलकर विरोध कर रहे हैं. ऐसे में उनके नेतृत्व के प्रति लोगों की आस्था भी बढ़ रही है.
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वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, सामाजिक न्याय के मुद्दे पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी सर्वाधिक मुखर हैं. राहुल गांधी ने जिस तरह से जातीय जनगणना कराने, आरक्षण का दायरा बढ़ाने और जिसकी जितनी भागीदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी का नारा बुलंद किया है, वह दलितों- पिछड़ों नेताओं और मतदाताओं को आकर्षित कर रहा है. राहुल गांधी राजनीति के सैद्धांतिक पक्ष को मुखरता से प्रस्तुत करते नजर आ रहे हैं. ऐसे में सियासी सफर करने की मंशा रखने वाले नेताओं को कांग्रेस में अपना भविष्य दिख रहा है.