भाई दूज का त्योहार भाई बहन के स्नेह को सुदृढ़ करता है। यह त्योहार दीवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में भाई-बहन के स्नेह-प्रतीक दो त्योहार मनाये जाते हैं – एक रक्षाबंधन जो श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसमें भाई बहन की रक्षा करने की प्रतिज्ञा करता है। दूसरा त्योहार, भाई दूज का होता है। इसमें बहनें भाई की लम्बी आयु की प्रार्थना करती हैं। भाई दूज का त्योहार कार्तिक मास शुक्लपक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। इस दिन बहनें भाइयों के स्वस्थ तथा दीर्घायु होने की मंगल कामना करके तिलक लगाती हैं।

भाई दूज शुभ मुहूर्त

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 14 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 35 मिनट से शुरू हो रही है और इसका समापन 15 नवंबर 2023 रात 1 बजकर 47 मिनट पर । उदयातिथि के अनुसार भाई दूज का पर्व 15 नवंबर 2023 को मनाया जाएगा.

14 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 12 मिनट से लेकर 3 बजकर 15 मिनट तक भाई को टीका लगाने का शुभ मुहूर्त रहेगा। वहीं, 15 नवंबर को समय 10 बजकर 45 मिनट से 11 बजकर 48 मिनट तक है। इस अवधि में बहन अपने भाई को टीका लगाएं

भाई दूज तिलक विधि  

भाई दूज के दिन भाई और बहन दोनों ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और साफ कपड़े पहनकर सबसे पहले भगवान का पूजन करें। इसके बाद मुहूर्त काल में भाई के तिलक के लिए बहन सुंदर थाल सजाएं। इस बात का ध्यान रखें कि थाली में कुमकुम, सिंदूर, चंदन, फूल, फल, मिठाई, अक्षत व सुपारी जरूर हो। मुहूर्त काल में एक चौकी सजाएं और उस पर बैठाकर भाई को तिलक लगाएं। तिलक के बाद फूल, पान, सुपारी, बताशे और काले चने भाई को दें। फिर उनकी आरती उतारें, आरती के बाद उन्हें मिठाई खिलाएं और अपने हाथों से भोजन परोसें।

भाईदूज का धार्मिक महत्व

धर्म ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन यमुना ने अपने भाई यम को आदर-सत्कार स्वरूप वरदान प्राप्त किया था, जिस वजह से भाईदूज को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल यमराज के वर अनुसार जो व्यक्ति इस दिन यमुना में स्नान करके, यम का पूजन करेगा, मृत्यु के पश्चात उसे यमलोक में नहीं जाना पड़ेगा। वहीं सूर्य की पुत्री यमुना समस्त कष्टों का निवारण करने वाली देवी स्वरूपा मानी गई हैं। इस कारण यम द्वितीया के दिन यमुना नदी में स्नान करने और यमुना व यमराज की पूजा करने का विशेष महत्व है। इस दिन बहन अपने भाई को तिलक कर उसकी लंबी उम्र के लिए हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना भी करती हैं।