अनमोल मिश्रा, चित्रकूट। मध्य प्रदेश के सतना जिले के चित्रकूट में दीपदान मेले का आज चौथा दिन है। दीपदान मेले में दिवाली के दूसरे दिन मंदाकिनी नदी के किनारे ऐतिहासिक गधा मेला लगता है। यह मेला औरंगजेब के जमाने से लगता चला आ रहा है। इसमें मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश समेत अलग-अलग प्रांतों के व्यापारी गधों को बेचने और खरीदने आते हैं।

धार्मिक नगरी चित्रकूट में पशुधन की धूम है। दिवाली के बाद दो दिन तक लगने वाले गधा मेले में रौनक है। मंदाकिनी नदी के किनारे हजारों की संख्या में गधों और खच्चरों का मेला लगा है, जिसकी बाकायदा नगर पंचायत ने व्यवस्था की है। मेले में देश के कोने-कोने से गधा व्यापारी अपने पशुओं के साथ पहुंचे हुए हैं।

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सबसे खास बात ये है कि इस मेले में फिल्मी सितारों के नाम से गधों और खच्चरों को बेचा जाता है। इनके नाम शाहरुख, सलमान, आमिर, कैटरीना आदि होते है। इस बार सबसे महंगी कैटरीना नाम की खच्चर घोड़ी 41 हजार रुपए में बिकी है।

औरंगजेब के समय से चली आ रही परंपरा

मंदाकिनी नदी के किनारे लगने वाले इस मेले की परंपरा बहुत पुरानी है। इस मेले की शुरुआत मुगल बादशाह औरंगजेब ने की थी। औरंगजेब ने चित्रकूट में इसी मेले से अपनी सेना के बेड़े में गधों और खच्चरों को शामिल किया था। इसलिए इस मेले का ऐतिहासिक महत्व है। इस मेले में एक लाख रुपए तक के गधे बिकते हैं।

सुविधाओं का है टोटा

मुगल काल से चली आ रही ये परंपरा सुविधाओं के अभाव में अब लगभग खात्मे की कगार पर है। नदी के किनारे भीषण गंदगी के बीच लगने वाले इस मेले में व्यापारियों को न तो पीने का पानी मुहैया होता है और न ही छाया। दो दिवसीय गधा मेले में सुरक्षा के नाम पर होमगार्ड तक के जवान नहीं लगाए जाते। वहीं व्यापारियों के जानवर बिकें या न बिकें ठेकेदार उनसे पैसे वसूल लेते हैं।

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अस्तित्व खो रहा मेला

ऐसी हालत में यह ऐतिहासिक गधा मेला अपना अस्तित्व खोता जा रहा है। धीरे-धीरे व्यापारियों का इस मेले में पहुंचना कम होता जा रहा है। वहीं गधा व्यापारियों ने बताया कि मेले में ठेकेदार द्वारा 30 रुपए प्रति खूंटा जानवर के बांधने का लिया जाता है और 600 रुपए प्रति जानवर एंट्री का लिया जाता हैं। इसके बाद भी सुविधा नहीं दी जाती। गधा व्यापारी से अवैध वसूली बता रहे हैं।

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