पी.जी.आई. के एंडोक्रिनोलॉजी विभाग के पूर्व प्रमुख जिनी हैल्थ के चिकित्सा निदेशक और लांसेट अध्ययन के सह-लेखक डा. अनिल भंसाली ने कहा, ‘‘35 वर्ष से अधिक उम्र के हर व्यक्ति की मधुमेह की जांच करने की आवश्यकता है।’’

डा. भंसाली ने कहा कि मैटाबोलिक नॉन कम्युनिकेबल रोग स्वास्थ्य भारत की रिपोर्ट आई.सी.एम.आर.-इंडियाबी राष्ट्रीय क्रॉस-सैक्शनल अध्ययन के तहत चंडीगढ़ को मधुमेह के मामले में लैंसेट अध्ययन के अनुसार चौथे स्थान पर रखा गया है। शहरी आबादी जागरूक हो रही है लेकिन अन्य लोग उच्च प्रोटीन और कम कार्बोहाइड्रेट वाला आहार नहीं एफोर्ड कर सकते।

चंडीगढ़ में मधुमेह का प्रसार 20.4 प्रतिशत है जबकि राष्ट्रीय औसत 11.4 प्रतिशत है। विश्लेषक का अनुमान है कि 2021 में भारत में 101.3 मिलियन से अधिक लोगों को मधुमेह था। प्रतिभागियों के बीच व्यापकता दर 11.4 प्रतिशत थी, शहरी व्यक्तियों में 16.4 प्रतिशत और ग्रामीण में 8.9 प्रतिशत थी। हम उन बिना रिपोर्ट हुई संख्याओं के बारे में भी चिंतित हैं जिनकी जांच नहीं की गई है और इससे बीमारी का बोझ बढ़ेगा। इसलिए एक राष्ट्रीय स्क्रीनिंग की आवश्यकता है जहां 35 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में फास्टिंग ग्लुकोज की जांच की जानी चाहिए।
डा. भंसाली ने कहा कि मधुमेह के कारणों के बारे में रूढि़वादिता को तोड़ते हुए शोधकत्र्ताओं ने पाया कि यह न केवल गतिहीन जीवनशैली और अस्वास्थ्यकर खान-पान की आदतें हैं बल्कि नींद का पैटर्न भी है। जो लोग दिन में कम से कम 6 से 7 घंटे नहीं सोते हैं उन्हें मधुमेह का खतरा होता है। चंडीगढ़ जैसे शहर में रहने वाले लोग जोखिम कारकों से अवगत हैं और उन्होंने आहार को उच्च कार्बोहाइड्रेट से प्रोटीन और फलों से भरपूर आहार में बदल दिया है, जिसे वे वहन कर सकते हैं। हालांकि निम्न सामाजिक-आर्थिक स्तर के लोग अभी भी उच्च कार्बोहाइड्रेट और वसायुक्त आहार खा रहे हैं क्योंकि वे रोजाना अच्छा प्रोटीन खाने में असमर्थ हैं।