धीरज दुबे,कोरबा. आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर निर्वाचन आयोग द्वारा युद्ध स्तर पर तैयारियां की जा रही हैं। इसके पूर्व मतदाता सूचियों का अंतिम प्रकाशन के दृष्टिगत समस्त मतदान केंद्रों में अभिहित अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है। निर्वाचन आयोग ने छोटे से लेकर बड़े अधिकारियों तक के अवकाश प्रतिबंधित कर दिए हैं। वहीं मतदान केंद्र में तैनात अभिहित अधिकारियों को भी अवकाश दिवस पर बैठने के निर्देश उन्हें प्राप्त प्रशिक्षण के दौरान दिए गए हैं। बावजूद इसके आज कुछ को छोड़कर सभी मतदान केंद्रों में ताले लटके नजर आए।
हमने शहर के कुछ मतदान केंद्रों का दौरा किया तो मिशन रोड स्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मीडिल स्कूल में पूरी तरह ताले लटके रहे और यहां अभिहित अधिकारी नजर नहीं आए। इसी तरह प्राथमिक शाला थाना स्कूल, आदिम जाति कल्याण विभाग प्राथमिक शाला सीतामढ़ी मेन रोड में भी ताला बंद व कोई अभिहित अधिकारी नहीं मिला। गायत्री उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रानी रोड में अभिहित अधिकारी जी एस कंवर बैठे मिले। पीएचई के लैब असिस्टेंट श्री कंवर ने बताया कि प्रशिक्षण में अवकाश दिवस पर भी मतदान केंद्र में बैठने के लिए कहा गया है। वजह यह है कि बाकी दिनों में अधिकांश लोग कामकाज के चक्कर में मतदान केंद्र नहीं पहुंच पाते हैं किंतु अवकाश के दिनों में इनका आना सहज हो जाता है इसलिए वह आज भी अपनी ड्यूटी पर बैठे हैं।
आगे बढ़ने पर जब हम पुरानी बस्ती के पूर्व प्राथमिक व माध्यमिक शाला पहुंचे तो यहां दो अभिहित अधिकारी व बीएलओ बैठे मिले। इन्होंने पूछने पर बताया कि आज कलेक्टर सर यहां पर दौरे में आए थे और सभी बीएलओ को हर दिन मतदान केंद्र में बैठने के लिए निर्देश दिया गया है। यहां यह बताना लाजिमी है कि इससे पहले की तिथियों में जब 31 जुलाई से अभिहित अधिकारियों को मतदान केंद्रों में बैठने कहा गया है तब से ही अधिकांश केंद्रों में इनके गायब रहने की शिकायतें आती रही हैं लेकिन शिकायतों को नजरअंदाज किया जाता रहा। जब अवकाश के दिन भी मतदान केंद्रों में बैठने की निर्देश दिए गए हैं तब इसके बावजूद कुछ ही केंद्र को छोड़कर शेष जगह ताला लगा मिला। अभिहित अधिकारी से लेकर संबंधित स्कूल के प्रधान पाठक, प्राचार्य की निर्वाचन जैसे महत्वपूर्ण कार्य के प्रति गैर जिम्मेदारी इसी से जाहिर होती है।
आंगनबाड़ी कर्मियों को व्यावहारिक दिक्कतें
निर्वाचन जैसे महत्वपूर्ण कार्य में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी बतौर बीएलओ नियुक्त कर उनकी सेवाएं ली जा रही हैं। इन कार्यकर्ताओं के अलावा दूसरे सरकारी विभाग के भी कर्मचारी निर्वाचन कार्य में बीएलओ या दूसरे कार्य हेतु नियुक्त किए जाते हैं । विडंबना यह है कि चाहे वह गुरुजी हो या किसी विभाग का कर्मचारी, उसे निर्वाचन ड्यूटी तक उसके मूल कार्य से पृथक रखा जाता है लेकिन आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को कहा जाता है कि वह अपना विभागीय काम करते-करते, आंगनबाड़ी केंद्र का संचालन करते हुए इस कार्य को अंजाम देंगे। मतदाता सूची का पुनरीक्षण, घर-घर सर्वेक्षण जैसे कार्य के लिए भी इन्हें कार्यमुक्त ना कर दोहरी जिम्मेदारी सौंपी जाती है। महिला होने के नाते अनेक तरह की व्यावहारिक दिक्कतों का सामना इन्हें करना पड़ता है।
अपने विभाग का काम ना करें, आंगनवाड़ी केंद्र में उपस्थित ना हों तो दौरे पर पहुंचे अधिकारी अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी देते हैं दूसरी ओर अपने केंद्र में मौजूद रहें और समय पर मतदान केंद्र या निर्वाचन संबंधी अन्य कार्य में विलंब से उपस्थित हों तो उसके लिए भी कार्रवाई की चेतावनी दी जाती है। कुल मिलाकर कार्यकर्ताओं की शुरू से मांग रही है कि निर्वाचन जैसे कार्य के लिए उन्हें उस अवधि तक विभागीय कार्य से पृथक रखा जाए ताकि वे मानसिक रुप रूप से निर्वाचन कार्य के लिए अपना पूरा समय दे सकें। कार्यकर्ताओं ने बताया कि उनके ऊपर अपना कार्य के साथ-साथ परिवार और बच्चों की जिम्मेदारी का भी भार रहता है और ऐसे में चारों तरफ से काम का दबाव और थोड़ी बहुत गलती होने पर तत्काल कार्रवाई की चेतावनी से उन्हें और मानसिक पीड़ा होती है।
कलेक्टर के आने की खबर पर खुला ताला
कलेक्टर मोहम्मद कैसर अब्दुल हक आज दोपहर रानी रोड स्थित पुरानी बस्ती के शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला का अवलोकन करने पहुंचे थे। कलेक्टर के आने की सूचना स्थानीय पार्षद को मिली और उन्होंने तत्काल विद्यालय की प्रधानपाठिका श्रीमती राजवाड़े को फोन पर अवगत कराया। कलेक्टर श्री हक को इस बात का अंदाजा नहीं था कि आज यह मतदान केंद्र बंद मिलेगा। लेकिन ऐन वक्त पर सूचना मिलते ही राजवाड़े मैडम ने स्कूल पहुंच कर ताला खोला और पास में ही रहने वाले अभिहित अधिकारी को सूचना दी तो 5 में से मात्र दो अभिहित अधिकारी ही स्कूल पहुंचे। सूचना पर यहां बीएलओ भी उपस्थित हो चुके थे। समझा जा सकता है कि यदि पार्षद न बताते तो इस मतदान केंद्र में भी ताला लटका रहता और अभिहित अधिकारी गायब मिलते।
मतदान केंद्र के निरीक्षण में दौरान बीएलओ के न मिलने पर नाराजगी जाहिर की गई थी, 7 तारीख तक मतदाता पुनरीक्षण का कार्य किया जाना है ऐसे में बूथ पर बीएलओ सहित अभिहित अधिकारी को उपस्थित रहना है।