चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा पंजाब के बच्चों को प्री-नर्सरी और नर्सरी स्तर पर अपने स्कूलों में दाखिला न देने के फैसले पर प्रदेश में सियासत गरमा गई है।

पंजाब कांग्रेस के प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग, पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर कौर भट्ठल और एनएसयूआई के प्रधान ईशरप्रीत सिंह सिद्धू ने चंडीगढ़ प्रशासन के फैसले की कड़ी निंदा की है।

पंजाब कांग्रेस प्रधान राजा वड़िंग ने कहा कि शिक्षा सभी के लिए एक मौलिक मानव अधिकार है। कुछ बच्चों से इस बुनियादी अधिकार को छीनने का फैसला कैसे लिया जा सकता है? पंजाब के छात्र वर्तमान में चंडीगढ़ के सरकारी स्कूलों में लगभग 40 फीसदी सीटों पर काबिज हैं। यह फैसला अन्यायपूर्ण ढंग से हमारे युवाओं से कम उम्र से उनके अधिकारों को छीन रहा है।

राजा वड़िंग ने केंद्र शासित प्रदेश के रूप में चंडीगढ़ पर केंद्र सरकार के प्रभाव की आलोचना करते हुए कहा कि चंडीगढ़, भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के नियंत्रण में होने के कारण, अब ऐसे उपायों के अधीन है जो सीधे पंजाब के लोगों को प्रभावित करते हैं। पंजाब चुनौतियों का सामना कर रहा है और हमारे हितों के विपरीत निर्णय हम पर थोपे जा रहे हैं। चंडीगढ़ पर पंजाब का अधिकार दिन-ब-दिन कम किया जा रहा है। चाहे वह पंजाब की कारों के लिए पार्किंग के लिए दोगुना शुल्क लगाना हो, या हमारे बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ने न देना हो।

पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर कौर भट्ठल ने कहा कि शिक्षा मानव विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र है। हम ऐसे फैसले का डटकर विरोध करेंगे। हम पंजाब के लोगों को ऐसे बुनियादी मानवाधिकार से वंचित करने की इजाजत नहीं दे सकते। शिक्षा के मामले में यह फैसला उन सिद्धांतों के विपरीत है, जिनके आधार पर हमारा संविधान और राष्ट्र बनाया गया है।

एनएसयूआई के प्रधान ईशरप्रीत सिंह सिद्धू ने कहा कि पंजाब के विद्यार्थियों के खिलाफ चंडीगढ़ प्रशासन के पक्षपाती कदमों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने चंडीगढ़ प्रशासन के फैसले का विरोध करते हुए कहा कि यह सीधे तौर पर पंजाब के साथ भेदभाव वाला कदम है। यह फैसला दोनों इलाकों के बीच एकता की भावना के विपरीत है। सिद्धू ने भाजपा पर पंजाब को हाशिए पर धकेलने और चंडीगढ़ पर उसके अधिकारों को कम करने की साजिश रचने का आरोप भी लगाया।