दिवाली के छह दिन बाद छठ पर्व मनाया जाता है। विशेषकर बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में महापर्व छठ धूमधाम से मनाया जाता है। छठ पूजा की शुरवात कल से यानी 17 नवंबर 2023 से हो चुकी है और छठ व्रतियों ने नहाय-खाय में स्नान आदि के बाद कद्दू चनादाल की सब्जी और अरवा चावल का प्रसाद ग्रहण किया।चार दिवसीय छठ 17-20 नवंबर तक मनाया जाएगा।छठ पूजा में हर दिन अलग-अलग विधियां है। पहले दिन नहाय-खाय किया जाता है।दूसरे दिन खरना होता है और तीसरे व चौथे सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है। संध्या और ऊषा अर्घ्य के लिए व्रती और पूरा परिवार नदी, तालाब या घाट पर जाते हैं। इस दौरान सूप, दउरा , डाला आदि सिर पर उठाकर लोग घाट तक ले जाते हैं।

सूर्य देव को अर्घ्य देने और छठी मईया की पूजा के लिए व्रती इसी टोकरी का इस्तेमाल करती है। इसलिए घाट जाने से पहले ही टोकरी को अच्छी तरह सजा लिया जाता है और इसमें सारी जरूरी सामग्रियों को रखा जाता है।आइये जानते हैं छठ पूजा के टोकरी, सूप या डाला को कैसे सजाएं और इसमें कौन सी चीजें रखें।

छठ का दउरा सजाने के लिए जरूरी सामग्री

सूप, दउरा या डलिया (बांस या पीतल के),नारियल,सुथनी,शकरकंदी,शहद की डिब्बी,सुपारी,कैराव,धूप,आंवला,नींबू बड़ा,डगरा,लाल धान,चावल,हल्दी,गुड़,पान का पत्ता,फल,दीपक,गन्ना,फूल,ठेकुआ प्रसाद,श्रृंगार का सामान,सिंदूर,लाल या पीला कपड़ा (सूप बांधने के लिए)

कैसे सजाएं छठ पूजा का दउरा

छठ पूजा में सूर्य को अर्घ्य देने के लिए दउरा को बहुत ही खूबसूरत तरीके से सजाया जाता है। सबसे पहले सूप या दउरा को धोकर साफ कर लें और सुखा लें। इसके बाद इसमें टीका सिंदूर से लगाएं और सूप के दोनों ओर पान के पत्ते रखें। इसमें सारे फल और प्रसाद को रखें। कुछ लोग 5 या 11 प्रसाद और फल रखते हैं। इसके बाद इसे कपड़े से अच्छी तरह बांध दें। सूप में गुड़ भी जरूर रखें, इसे बहुत शुभ माना जाता है।इसके बाद सूप के दोनों ओर दीपक भी जलाएं। इस तरह से सूप जलाने के बाद घर-परिवार के लोग इसे सिर पर रखकर घाट तक जाते हैं। दउरा घाट लेकर जाने के लिए छठ पूजा का गीत है।

कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए, बहंगी लचकत जाए॥
होई ना बलम जी कहरिया,बहंगी घाटे पहुंचाए, बहंगी घाटे पहुंचाए॥