महापर्व छठ की शुरुआत हो चुकी है. छठ पर्व के दूसरे दिन यानी आज खरना होता है. खरना के दिन व्रत रखने वाली महिलाएं केवल एक ही समय शाम में मीठा भोजन करती है. खरना वाले दिन इस दिन मुख्य रूप से चावल और गुड़ की खीर का प्रसाद बनाया जाता है, जिसे मिट्टी के चूल्हे में आम की लकड़ी जलाकर बनाया जाता है. छठ पर्व के चारों दिनों का बहुत महत्व माना जाता है. ये पर्व बिहार के अलावा यूपी और झारखंड में भी मनाया जाता है.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां सीता ने भी छठ का व्रत रखा था. माना जाता है कि मां सीता अपनी पहली छठ पूजा बिहार के मुंगेंर में गंगा नदी के तट पर की थी. जब मां सीता भगवान राम के साथ वनवास गई थीं, तो उसी समय के दौरान उन्होंने छठ का व्रत रखा था. इसके बाद से छठ पर्व की शुरुआत हुई. Read More – Bigg Boss 17 : Isha Malviya और Samarth Jurel ने घर में की हदें पार, वायरल हो रहा Video …

मां सीता के चरण

मान्यता है कि मां सीता ने मुंगेर जिले के बबुआ घाट के पश्चिमी तट पर छठ पूजा की थी, जहां उनके चरण चिन्ह आज भी मौजूद हैं. मां सीता के चरण बड़े से पत्थर पर अंकित हैं. यहां अब एक विशाल मंदिर बनाया गया है.

मौजूद हैं निशान

लोक मान्यताओं के अनुसार, माता सीता ने कार्तिक मास की षष्ठी तिथि पर भगवान सूर्य देव की उपासना मुंगेर के बबुआ गंगा घाट के पश्चमी तट पर ही की था. यहां मौजूद शिलपट पर आज भी मां सीता के व्रत रखने के अस्तित्व मिलते हैं. यहां सूप, डाला और लोटे के निशान भी बने हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि मंदिर का गर्भगृह साल में छह महीने तक गंगा के गर्भ में समाया रहता है. मां सीता के चरणों के दर्शन करने के लिए यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. तो अगर आप भी बिहार में हैं तो छठ के इस पावन अवसर पर मां सीता के मंदिर में जरूर दर्शन करके आएं. Read More – बैक लेस टॉप में नजर आईं Urfi Javed

वाल्मीकि और आनंद रामायण में मिलता है प्रसंग

वाल्मीकि और आनंद रामायण के अनुसार ऐतिहासिक नगरी मुंगेर के सीता चरण में कभी मां ने छह दिन तक रहकर छठ पूजा की थीं. भगवान राम जब 14  वर्ष वनवास के बाद अयोध्या लोटे थे तो रावण वध से पाप मुक्त होने के लिए ऋषि-मुनियों के आदेश पर राजसूय यज्ञ करने का फैसला लिया. इसके लिए मुद्गल ऋषि को आमंत्रण दिया गया था, लेकिन मुद्गल ऋषि ने भगवान राम एवं सीता को अपने ही आश्रम में आने का आदेश दिया, जिसके बाद मुद्गल ऋषि ने माता सीता को सूर्य की उपासना करने की सलाह दी थी.