Rajasthan News: अलवर. राजस्थान में अलवर जिले की किशनगढ़ बास विधानसभा सीट पर परिसीमन के बाद जहां कांग्रेस पार्टी को अपना खाता खुलने का इंतजार है वहीं पार्टी के कद्दावर नेता रहे पूर्व गृहमंत्री संपत राम की पुत्रवधू सिमरत संधू इसके लिए अवरोधक बनी हुई है.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा खैरथल तिजारा को जिला बनाने के बाद कांग्रेस को यहां लाभ मिलने की पूरी संभावना हो सकती है, क्योंकि जिले का नाम खैरथल और तिजारा रखा गया है और दोनों ही नाम की अलग-अलग विधानसभा हैं. लेकिन सभी मुख्यालय खैरथल में ही खोले गए हैं इसलिए इसका सीधा फायदा कांग्रेस को मिलने की पूरी संभावना है. तिजारा के बहुजन समाजवादी पार्टी बसपा से जीते विधायक संदीप यादव ने भी तिजारा के भिवाड़ी को जिला बनाने की मांग की थी, सरकार ने बीच का रास्ता निकालकर दोनों विधानसभा के नाम का एक जिला बना दिया.

कांग्रेस ने बसपा विधायक दीप चंद खेरिया को तो कांग्रेस का टिकट इसलिए दिया क्योंकि वह कांग्रेस के ही नेता थे. लेकिन तिजारा के विधायक संदीप यादव को इसलिए टिकिट नहीं दिया क्योंकि वह भारतीय जनता पार्टी के नेता थे और भाजपा ने टिकिट नहीं दिया तो वो बागी होकर बसपा का टिकिट ले आए. पहले यह विधानसभा क्षेत्र खैरथल के नाम से जाना जाता था. वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद किशनगढ़ बास विधानसभा क्षेत्र किया गया.

वर्ष 2008 के पहले चुनाव में इस सीट पर भाजपा के उम्मीदवार रामहेत यादव चुनाव जीते थे. वर्ष 2013 में भी भाजपा यहां से चुनाव जीती. रामहेत यादव विधायक बने. उसके बाद परिस्थितियों बदली. वर्ष 2018 में भाजपा ने फिर रामहेत यादव पर दाव लगाया. कांग्रेस से यहां मुख्य रूप से दावेदारी पूर्व जिला प्रमुख दीपचंद खेरिया कर रहे थे. कांग्रेस आलाकमान ने दीपचंद खेरिया के स्थान पर डॉक्टर करण सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया था. दीपचंद खेरिया बसपा से टिकट लेकर आए और विधायक बन गए. इस बार बसपा विधायक दीपचंद खेरिया कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं और भाजपा से रामहेत यादव चौथी बार चुनाव लड़ रहे हैं. किशनगढ बास निर्वाचन क्षेत्र में कुल मतदाता 254515 हैं.

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