गोरखपुर. पिछले दो वर्षों में तीसरी बार गोरखपुर विश्वविद्यालय में निलंबन का सामना कर रहे हिंदी विभाग के आचार्य प्रो. कमलेश कुमार गुप्त को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने उनके निलंबन समेत सभी अनुशासनात्मक कार्रवाई को समाप्त कर दिया है.
जस्टिस विकास ने हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की दलील सुनने के बाद विश्वविद्यालय द्वारा पहले निलंबन आदेश सह आरोप पत्र के साथ ही दूसरे निलंबन आदेश और आरोप पत्र को खारिज कर दिया. सभी चार्जशीट भी खत्म कर दी गई. कोर्ट ने अपने निर्णय में यह भी कहा है कि प्रो. कमलेश के मामले में गोविवि द्वारा गठित अनुशासनिक समिति संविधान के अनुरूप नहीं बनी थी.
जानकारी के मुताबिक, प्रो. कमलेश कुमार गुप्त ने वर्ष 2021 में तत्कालीन कुलपति प्रो. राजेश सिंह पर उनके कार्यकाल में हुए आय-व्यय की जांच किए जाने और उन्हें उनके पद से हटाए जाने की मांग कुलाधिपति से की थी.
गौरतलब है कि कुलपति के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले प्रो. कमलेश को पिछले दो वर्षों में तीन बार निलंबन का सामना करना पड़ा. तीन बार में वे करीब 15 महीने तक निलंबित रहे हैं. कोर्ट से निलंबन रद्द होने के बाद प्रो. कमलेश गुप्त ने फेसबुक पर लिखा है, यह दुराग्रह के विरुद्ध सत्याग्रह की जीत है.