प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि एक कर्मचारी जो पक्षाघात से पीड़ित है और जो अपनी स्थिति के कारण कार्यालय आने की स्थिति में नहीं है. वह चिकित्सा अवकाश के दौरान वेतन पाने का पूरा हकदार है. न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने यह टिप्पणी करते हुए अपने कर्मचारी के वेतन में उस अवधि के लिए कटौती करने के राज्य सरकार के फैसले को रद्द कर दिया, जब वह पक्षाघात से पीड़ित होने के बाद चिकित्सा अवकाश पर कार्यालय से अनुपस्थित था.

कोर्ट ने यह भी पाया कि ऐसा निर्णय विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 के प्रावधानों का उल्लंघन है. न्यायालय ने कहा यदि याचिकाकर्ता का पति (कर्मचारी) पक्षाघात से पीड़ित था और कार्यालय में उपस्थित होने के लिए उपयुक्त शारीरिक स्थिति में नहीं था, तो ऐसा व्यक्ति निश्चित रूप से राज्य से सुरक्षा का हकदार था, जिसे एक आदर्श नियोक्ता के रूप में कार्य करना था. इसलिए याचिकाकर्ता का पति उस अवधि के लिए पूरी तरह से वेतन पाने का हकदार था.

इसे भी पढ़ें – हाईकोर्ट से गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रो. कमलेश गुप्ता को राहत, निलंबन वापसी का दिया निर्देश

अदालत ने कर्मचारी की पत्नी (याचिकाकर्ता) द्वारा दायर याचिका पर यह फैसला सुनाया. याचिकाकर्ता के पति 2020 में पक्षाघात से पीड़ित होने के बाद मरने से पहले संयुक्त महानिरीक्षक पंजीकरण के कार्यालय में अर्दली के रूप में कार्यरत थे. कर्मचारी की मृत्यु के बाद, उसकी पत्नी ने पेंशन और अन्य बकाए के लिए संबंधित अधिकारियों से संपर्क किया. इस भुगतान को पूरा करने में कठिनाइयों का सामना करने पर याचिकाकर्ता ने राहत के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.

छतीसगढ़ की खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक 
मध्यप्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
दिल्ली की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
पंजाब की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
English में खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
मनोरंजन की खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक