इश्हाक खान, अंतागढ़. यहां के ग्रामीणों ने कुछ ऐसा कर दिखाया है जो कि वाकई तारीफ के काबिल है. कच्चे पुल के निर्माण को लेकर शासन-प्रशासन और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों से ग्रामीणों ने कई दफा फरियाद किया, लेकिन कोई इनकी फरियाद और समस्या को नहीं सुना. जिसके बाद ग्रामीणों ने खुद ही कच्चे पुल की निर्माण की ठीन ली है. इनकी मेहनत रंग भी लाई और तीन दिन में निर्माण को पूरा कर लिया. जिससे इनके आवागमन से सुविधा हो गई है. जो काम प्रशासन को करना था वो काम अब ग्रामीणों ने ही कर दिखाया है.
दरअसल मामला अंतागढ़ विकासखंड के अंतर्गत ग्राम बड़ेजैतपुरी और सुल्लीपारा के बीच स्थित बड़े नाले का है. जहां 100 की संख्या में एक जूट होकर ग्रामीणों ने कच्चे बाँस, बल्ली और पत्थर से आवगमन के लिए कच्चा पुलिया का निर्माण किया है. यह नाला इसी साल 2018 की बारिश में लंबे समय तक बाढ़ से प्रभावित था इस दरमियान नवागांव सुललीपारा बडेजैतपुरी, आमाकड़ा और मुरामेर गाँव लंबे समय तक टापू में तब्दील थे. अंतागढ़ मुख्यालय से संपर्क टूट चुके इन गांवो में तब आपातकाल स्थिति में न तो 108 एम्बुलेंस सेवा का हितग्राहियों को लाभ मिल पा रहा था और ना ही अन्य स्वास्थ्य सेवा यहां तक पहुंच पाती थी.
वहीं स्कूली बच्चे और शिक्षक ले देकर जान जोखिम में डाल नाला पार कर अपने स्कूल तक जा रहे थे. इस बूरी स्थिति से नवागाव से बड़ेजैतपुरी तक प्रधानमंत्री ग्राम सड़क बनाने वाले ठेकेदार की लापरवाही से लोगों को गुजरना पड़ा रहा था. जिसने बड़े नाले को पुलिया बनाने के लिए बारिश के पहले खुदाई की गई पुल को आज तक बनाया नहीं गया था. शासन-प्रशासन और इलाके के जनप्रतिनिधियों से वैकल्पिक तौर पर बड़े नाले पर कच्चे पुलिया की माँग ग्रामीणों ने किया, लेकिन किसी ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया. जिसकी वजह से स्कूली बच्चों को भी स्कूल जाने में परेशानी होती है. अपनी जान जोखिम में डालकर स्कूल तक पहुंचते थे.
जिसके बाद ग्रामीणों ने तय किया कि अब पुलिया तो हम सब मिलकर ही बनाऐंगे. इस तरह नवागांव और गोंडबिनापाल ग्राम पंचायत के इन प्रभावित आश्रीत ग्रामों के लोगों ने आपसी सहयोग से पुल का निर्माण तीन दिन के भीतर कर दिखाया और अब यहां से आवगमन को लेकर थोड़ी राहत लोगों को खुद की मेहनत से मिली है. इस मेहनत और गलन से पुल का निर्माण पूरा हो गया. यहां की प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को शर्म के मारे चुल्लू भर पानी में डूब कर मर जाना चाहिए.